Hot Gand Xxx Kahani – बहन की जेठानी की बेटी की गांड मारी


हॉट गांड Xxx कहानी में पढ़ें कि बहन की जेठानी की बेटी की धमाकेदार चुदाई के बाद मैंने अपने बड़े लंड से कैसे उसकी गांड फाड़ डाली.

दोस्तो, मैं चन्दन सिंह आपको अपनी बहन की जेठानी नंदा और उसकी दो बेटियों की चुदाई की कहानी में स्वागत करता हूँ.
कहानी के पिछले भाग
बहन की चुदक्कड़ जेठानी की बेटी चोदी
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैंने नंदा की बड़ी बेटी रुचिका की धमाकेदार चुदाई कर दी थी और आज रात उसे अपने लंड का गुलाम बना देना चाहता था.
मैं नंदा के साथ बाजार गया और दवा की दुकान से कामवासना बढ़ाने वाली दवा ले ली थी.

अब आगे हॉट गांड Xxx कहानी:

उन्हें नंदा को देते हुए मैंने कहा- किसी भी प्रकार इन गोलियों का चूर्ण कर वाइन में रुचिका को पिला देना, भूलना मत.
घर पहुंच कर डाइनिंग टेबल पर पीने की व्यवस्था करके हम तीनों पीने को बैठ गए.

नंदा ने कुछ देर बाद आइस के लिए रुचिका को किचन में भेज दिया.
जब तक वो आइस लेकर आती, तब तक उसने टेबलेट का चूर्ण गिलास में डाल दिया और अपना गिलास एक झटके में खाली करके रुचिका के गिलास की तरफ देखा. उसमें पाउडर दिख रहा था.

नंदा ने रुचिका के गिलास की दारू अपने गिलास में डाल कर फैंट दी. इस तरह उसने तीन चार बार किया.
अब चूर्ण शराब में मिक्स हो गया.

फिर जल्दी से नंदा ने अपने गिलास में पैग बना कर रखा ही था कि रुचिका एक थर्मस में आइस के छोटे पीस के साथ आ गई. वो बर्फ उठाने वाला एक चिमटा ले आयी थी.
आते ही उसने सभी के गिलास में आइस के दो दो पीस डाल दिए और हम तीनों पीने लगे.

नंदा ने पूछा- बहुत टाइम लगा आइस लाने में?
तब वो बोली- अण्डे को कुकर में उबलाने के लिए रखने लगी थी, उससे टाइम लग गया.

हमने पैग खाली किया ही था कि कुकर की सीटी सुनाई दी.
रुचिका उठ कर गयी, अण्डे की ऊपरी परत को हटा कर मसाला लगा कर ले आयी.

तब तक हमने दूसरा पैग बना लिया था.

एक घूंट भरने के बाद रुचिका और मैंने अण्डे का एक एक पीस खाया.
नंदा ने नहीं लिया.

तब रुचिका एक पीस लेकर उठी और अपनी माँ के मुँह में डाल कर जबरदस्ती खिलाने लगी.
उसके बाद उसने पूछा- माँ, कैसा स्वाद था?
नंदा बोली- अच्छा लगा.

उसके बाद नंदा खुद अपने हाथ से लेकर खाने लगी.

हम तीनों तीन तीन पैग पी चुके थे.
रुचिका बोली- अपने अपने पैग हाथ में ले लो, किचन में चल कर आमलेट बनाते हैं.

किचन में जाने से पूर्व तीन गिलास भर कर बोतल साथ में ले ली.
हमसे पूर्व रुचिका किचन में पहुंच गयी थी.

मैंने नंदा से कहा- रुचिका को मालूम न पड़े, जब वो पैग पीकर गिलास रखे, तब चुपके से उसके गिलास में फिर से पैग बना देना. तुम और मैं उसका गिलास खाली नहीं होने देंगे, आज उसे मदहोश करना है.
ये बात कर ही रहे थे कि तभी रुचिका की आवाज आई- मम्मी, किचन में आओ ना.

हम दोनों किचन में पहुंचे.
रुचिका अपनी माँ को आमलेट बनाने का तरीका समझाने लगी.

इस तरह उसके बनाए आमलेट खाकर किचन से बाहर निकले.
तब तक रुचिका के पैर डगमगाने लग गए थे.

उसे मैंने बांहों में लेकर नंदा के सामने कहा- अच्छा अब हम दोनों सोने जा रहे हैं. आप अपने कमरे में सो जाना.
इतना कह कर मैं रुचिका को बांहों में लिए चलने लगा.

रुचि ने मेरे गालों पर दांत से काट खाया और बोली- आज की रात तुम्हारे पास काफी समय है. जिस जिस तरह से कर सकते हो, उन सभी तरह से करके बता देना.
मैं कमरे में पहुंच कर उसे बेड पर लिटा कर पास में लेट गया.

रुचि इस समय भरपूर नशे में थी. शराब पिए हुए मदहोश आदमी से कोई भी बात पूछ लो, वो एकदम सच बताएगा.

मैंने पूछा- रुचि एक बात बताओ, आज दोपहर में कैसा लगा यानि तुम्हारे साथ सम्भोग करना?
तब वो बोली- सच में यार, ऐसा तो मैंने सोचा भी नहीं था. इतने बड़े लंड से करने का मजा क्या होता है … और तुम्हारे करने का तरीका आह … सच तो ये है मेरे पति रोज करते हैं पर एक बार स्खलित होने के बाद दूसरी बार उनकी इच्छा तो क्या, उनका खड़ा ही नहीं होता. एक तुम हो, न जाने बिना स्खलित हुए कितनी बार मेरी चूत से पानी छुड़वा दिया. दूसरी तरफ मेरे पति में इतनी शक्ति नहीं है. अब समझ में आया कि मेरी मम्मी तुम्हारी दीवानी कैसे हुई.

बातें करते करते मैं उसके कपड़े खोलने लगा.
जब कपड़े खुल गए, तब मैं नीचे को सरक कर उसकी चूत पर चुम्बन देने लगा.

मेरे चुम्बन से वो बोली- हंह … ये गंदी जगह है.
जब मैंने उससे कहा- तुम मुँह बंद रखो और मजा लो बस!

मैं उसकी चूत पर चुम्बन देते देते चूत में जीभ डाल कर घुमाने लगा.
उसका शरीर ऐंठने लगा, साथ में सिसकारियां निकलने लगीं.

कुछ पल बाद उसने अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा लिया और तब तक दबाए रखा, जब पानी नहीं छूट गया.

उसने बड़ी तेज आवाज के साथ चुत से माल झाड़ा तब मेरे सर को छोड़ा.
फिर उसने मुझे अपने ऊपर लिटा कर कहा- सच में यार तुम जादूगर हो. अब मेरा पति तुम्हारे सामने कुछ भी नहीं है.

जब मैंने उसे मेरे लंड को चूसने को कहा, तो वो बोली- तुम जो भी कहोगे, मैं वो सब कुछ करूंगी.

मैंने कपड़े खोल कर उसे लंड चूसने का तरीका बताया.
कुछ देर तो अनमने मन से लंड चूसा, बाद में बड़े चाव से लंड चूसने लगी.

रुचिका और मैं सिक्स नाइन की पोजीशन बना कर मजे लेने लगे.

पंद्रह मिनट में रूचि ने जैसे ही अपनी चूत से पानी छोड़ा, मैं उठ कर खड़ा हो गया.
रूचि ने एक बार फिर से अपनी चूत को साफ किया और लड़खड़ाती जुबान से बोली- आज मुझे सभी तरीके से चोद देना.

उसकी आंखें मदहोशी के कारण आधी बंद और आधी खुली थीं.

आज उसने जो वाइन पी थी, वो अब चढ़ रही थी.
मैं जानता था कि वो ज्यादा से ज्यादा आधा पौन घंटा तक ही साथ दे पाएगी. नशा ज्यादा होने के कारण ये साथ न देकर सो जाएगी.

मैंने रुचिका से पूछा- रुचि क्या कभी पीछे से करवाया है?
वो उन्हूऊं करने लगी.

मैं उसको पलट कर उसकी गांड देख कर समझ गया था कि इसकी गांड अभी तक सील पैक है.
वो थरथराती हुई आवाज में बोली- तुम्हें बोला ना … मुझे आज पूरा मजा दे दो.

अब उसकी गांड में उंगली करने से पहले वैसलीन को इधर उधर देखा.
वो एक जगह मिल गयी.
डिब्बी खोल कर एक उंगली में वैसलीन भर कर रुचिका की गांड पर हल्के हल्के फिराने लगा.

रुचिका को अद्भुत लग रहा था. मैं उंगली को गांड के अन्दर धीरे धीरे डालने लगा.

थोड़ी थोड़ी देर से उंगली पर वैसलीन लेकर गांड के अन्दर गहराई में घुमाने लगा.
मदहोशी होने के कारण उसे दर्द भी नहीं हो रहा था.
इस कारण वो कुछ बोल नहीं रही थी.

मैं अब एक उंगली की बजाए दो उंगली गांड में घुमाने लगा.
थोड़ी थोड़ी देर से अन्दर बाहर करने लगा. रुचिका को मस्ती आ रही थी, वो उन्ह आह कर रही थी.

सही वक्त और मौका देख कर लंड के ऊपर ज्यादा सी वैसलीन लगा कर सुपारे को गांड पर रख दिया और हल्के हल्के गांड पर घुमाते हुए गांड के अन्दर जोर लगा कर डालने लगा.
अब रुचिका को हल्का दर्द महसूस हो रहा था.
नशा गहरा होने के कारण वो बोलने की चेष्टा कर रही थी, पर उससे बोला नहीं जा रहा था.

अब तो उसकी विरोध करने की शक्ति भी समाप्त हो चुकी थी.
मौके का फायदा उठा कर मैं अपने लंड को धीरे धीरे गांड में आगे बढ़ाने लगा.

पांच मिनट में लंड पूरा अन्दर जा चुका था. उसकी गांड फट गई थी और उसमें से खून बह रहा था.

उसकी परवाह न करते हुए जोर जोर से पेलने लगा.
दर्द ज्यादा होने के कारण उसकी आंखों से आंसू टपक रहे थे.
पन्द्रह बीस मिनट की पेलमपेल के बाद रुचिका का रोना बंद हो गया था.

उसकी जगह अब वो आह आह करने लगी थी.
करीब आधा घंटा की गांड पिलाई के बाद उसे थोड़ा होश आया.

वो बोली- और अन्दर आने दो.
आखिर पेलते पेलते एक लंबी सिसकारी निकली, तब मैं समझ गया कि अब इसका काम पूरा हो गया.

मैं लंड को बाहर निकाल कर बाथरूम में जाकर धोकर आ गया.
तब तक रुचिका को नींद आ चुकी थी. मैंने उसे हिला कर देखा, वो गहरी नींद में थी.

उसे वहीं छोड़ कर मैं नंदा के कमरे में गया. वो भी नींद में थी.
एयर कंडीशनर चल रहा था, कमरा ठंडा था. मैं चादर के अन्दर घुस गया.

जब नंदा से चिपका, तब मालूम पड़ा वो एकदम नंगी होकर सो रही थी.
शराब का नशा उसे भी गहरा चढ़ा था.

वैसे मैं भी नंगा था. मैंने नंदा को सीधा लिटाया और उसके ऊपर आकर लंड को उसकी चूत में डालने लगा.
नंदा नींद में होने के कारण वो सपना समझ कर साथ देने लगी.

जब लंड जोर जोर से उसकी चूत में गया, तब उसे चुदाई का अहसास हुआ.

उसने आंखें खोल कर देखा और लड़खड़ाती हुई बोली- रुचि कहां है?
जब उसे बताया कि वो गहरी नींद में है.
नंदा ज्यादा कुछ नहीं बोल सकी.

मैं अपने आपको स्खलित करने के लिए नंदा को लगातार चोदता रहा.
काफी देर बाद जब उसकी चूत में मैं स्खलित हुआ, तब नंदा को भी अहसास हुआ.

उसने मुझे कमर के पीछे से पकड़ लिया था.
अब मुझे भी नींद आ रही थी.

उसकी चूत और मेरा लंड दोनों भीगे होने के बावजूद मैं ऐसे ही नंदा को बांहों में लेकर सो गया.
थकान के मारे जल्दी ही नींद आ गयी.

सुबह नंदा मुझसे पहले उठी, तब उसे सारा माजरा समझ में आया.
वो रुचिका को देखने के बाद आकर मुझे उठाने लगी.

जब मैं उठा, तब उसने बताया कि रूचि का बिस्तर खून से भरा हुआ है.
मैंने जाकर देखा और कुछ सोच कर उसके बगल में लेट कर रुचिका से चिपक गया.

नंदा माजरा समझ कर बाथरूम नहाने चली गयी.
मैं रुचिका के बूब्स सहलाने लगा, साथ में उसके होंठों पर चुम्बन करने लगा.

कुछ देर के प्रयास से रुचिका की आंखें खुल गईं, जब वो पूरी तन्द्रा से जागी तो उसने अपने पिछवाड़े में दर्द महसूस किया.

वो बिस्तर देख कर बोली- क्या रात को मेरे पीछे से किया था?
मैंने उससे कहा- तुमने ही कहा था कि आज सभी तरह से करके बता देना. मैंने वैसा ही किया.

मैं रुचिका को गर्म करने लगा.
वो बोली- मुझे छोड़ो, अब बाथरूम जाना है.

उसने उठ कर चलने की कोशिश की और बोली- प्लीज मुझे पेशाब करवा दो.
मैं उसे सहारा देकर बाथरूम में ले गया और उसे सलाह दी- एक बार नहा लो.

वो बोली- तुम ही नहला दो.
मैंने शॉवर खोल कर कुछ देर उसे पानी में खड़ा रखा.

वापिस शॉवर बंद करके साबुन लगा कर शॉवर से नहलाया.

इस बीच मैं भी नहा लिया.
नहाने से मुझमें स्पूर्ति आ गयी.

शॉवर के नीचे लिटा कर मैंने पानी में एक बार फिर से रूचि की चुदाई कर डाली.
बाथरूम से उसे बांहों में उठा कर कमरे में लाया.

उसकी गांड अभी भी फटी पड़ी थी. उसमें वैसलीन लगा कर उसे बाहर हॉल में लाया.
सामने नंदा दिख गयी.

वो बोली- क्या हुआ, जो इसे उठाना पड़ा?
मैंने कहा- पहली बार था, इस वजह से चलने में दिक्कत आ रही है. तुम जरा इसके बिस्तर को सही कर दो.

नंदा मेरे सामने मुस्करा कर रुचिका के कमरे में चली गयी.

मैं रुचिका को सोफ पर बैठा कर बोला- दो पैग पी लो.
वो बोली- मुझे आज पूना पहुंचना जरूरी है.

तब मैं बोला- कम से कम दो दिन रेस्ट करने पर ही चल पाओगी.
मैंने रुचिका को पैग बना कर दिया.

दो पैग पीने के बाद वो उठी और चलने की कोशिश करने लगी.
वो बोली- मुझे आज पूना जाना जरूरी है.

मैंने उससे आज रेस्ट करने को बोला. उसने फोन से अपना टिकट केन्सिल करवाया.
इस बीच नंदा आकर किचन में चली गयी.

उसके जाने के पंद्रह मिनट बाद दो लार्ज पैग लेकर मैं किचन में गया.
वो खाने के लिए कुछ बना रही थी.

उसे पैग देते हुए मैंने उसे चूमा.

वो बोली- रुचिका का इतना खून बहा, पर उसके रोने की आवाज सुनाई नहीं दी.
मैं दोनों गिलासों को टकरा कर चियर्स करते हुए बोला- जब सुहाना लगेगा तो कोई रोएगा किस लिए?

वो मुस्करा कर बोली- तब मुझे ऐसे ही क्यों छोड़ रखा.
मैं बोला- पहली बार में समय लगता है, उसके बाद तो आदत पड़ जाती है. कभी समय आने दो, तुम्हारा भी पिछवाड़ा खोल दूंगा.

उसने गिलास खाली कर दिया और बोली- एक पैग और लाकर दे सकते हो?
मैं बाहर आया, तब तक रुचिका पीने में व्यस्त थी.

एक और लार्ज पैग बना कर मैं किचन में ले गया.
नंदा के हाथ में गिलास दिया. नंदा ने थैंक्स बोला.

तभी लड़खड़ाती हुई रुचिका भी किचन में आ गयी.
वो बोली- क्या गुपचुप बातें चल रही हैं?

नंदा बोली- तुम्हारे ही बारे में. अच्छा रूचि कैसा लगा मेरा ये दोस्त?
रुचिका बोली- मम्मी, आप भी कमाल की चीज हो. आपने मेरी सोच को बदल कर रख दिया. आई लव यू मम्मी. तुम्हारा यह अहसान कभी उतार नहीं पाऊंगी. सारी उम्र ऐसे ही बीत जाती. अब जो तुम कहोगी, मैं वही करूंगी.

नंदा बोली- आज तुम्हें आराम की सख्त जरूरत है. कुछ खा पीकर एक बार बेड पर जाकर रेस्ट कर लोगी, तो कल तक सही हो जाएगी.

नंदा ने अपना गिलास खाली करके मुझे देते हुए कहा- चलो अब बाहर चल कर कुछ नाश्ता कर लेते हैं.
मैंने बाहर आकर गिलास को वापिस बेसिन में रखा. बोतल को अलमारी में रखा.

तब तक डाइनिंग टेबल पर नाश्ता आ चुका था. हम तीनों नाश्ता करने के बाद उठ गए.
नंदा वापिस बर्तन धोने चली गयी.

मैं रुचिका को सहारा देकर उसे कमरे में पहुंचा आया और सुला दिया.
दोस्तो, माँ बेटी की चुदाई की कहानी कैसी लगी, मेल करना न भूलना.

हॉट गांड Xxx कहानी में आगे काफी मजा है, उसे अगले भाग में लिखूँगा.
[email protected]

हॉट गांड Xxx कहानी का अगला भाग:

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *