माल की मम्मी की चूत की प्यास मिटाई 

उस वक्त मैं कॉलेज में था. एक लड़की मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी. उसका नाम निकिता था. वह अपनी मम्मी के साथ रहती थी. उसकी मम्मी उसी शहर में सरकारी नौकरी करती थीं लेकिन उनका तलाक हो चुका था. मेरी फ्रेंड की मम्मी का नाम रोमा था, मैं उन्हें आंटी कहता था.

निकिता से मेरी बहुत अच्छी दोस्ती थी तो मैं अक्सर उसके घर आता जाता था.

मेरे रूम और उनका फ्लैट मुश्किल से पांच दस मिनट का पैदल रास्ता था तो उन लोगों जब भी कोई काम की वजह से मेरी जरूरत होती तो वो लोग मुझे बुला लेती थीं.

निकिता सिर्फ कहने को मेरी दोस्त थी पर उसके साथ मेरे शारीरिक संबंध भी रह चुके थे.
यह बात रोमा आंटी को नहीं मालूम थी, पर हां उन्हें कुछ अंदेशा था कि हम दोनों के बीच बहुत कुछ गहरा है.

आंटी का रवैया भी मेरे प्रति एक दोस्त जैसा ही था.
रोमा आंटी भी मुझे बहुत मानती थीं क्योंकि मैं उनसे बहुत खूब हिलमिल गया था.
आज की यह सेक्स कहानी मेरे और रोमा आंटी के बीच की ही है.

रोमा आंटी की उम्र उस वक्त 42 साल की रही होगी.
उन्होंने अपने आपको उन्होंने मेंटेन करके रखा था.
देखने में पतली लगती थीं.

आंटी इतनी ज्यादा सेक्सी थीं कि उनको देखकर किसी का भी मन मचल जाए.

वो तो मेरी फ्रेंड की मम्मी थीं इसलिए मैं उन्हें आंटी लिख रहा हूँ, वरना तो वो एक सेक्स बम जैसी थीं.

आंटी हमेशा सलवार सूट ही पहनती थीं लेकिन जब कभी साड़ी पहनती थीं तो एकदम गहरे गले का ब्लाउज पहनती थीं. जिससे उनकी चूचियों की क्लीवेज साफ-साफ दिखने लगती थी.
साड़ी में आंटी और ज्यादा हॉट लगती थीं.

मैं उनके यहां बहुत बार जा चुका था.
रोमा आंटी के हर रूप से मैं परिचित था.

जब मैं उनको रोमा आंटी बुलाता था तो वह कभी-कभी मजाक में बोलती थीं- मैं तुम्हें आंटी किस एंगल से लगती हूं?

मैं इस पर बोलता कि आप मेरी फ्रेंड की मम्मी है इसीलिए तो आपको आंटी ही बुलाना पड़ता है. वरना तो मुझे आपसे आंटी कहना जरा भी अच्छा नहीं लगता. देखने में तो आप निकिता की बड़ी बहन लगती हैं, बस निकिता से कुछ साल बड़ी.

मेरी इस बात पर वह मुस्कुरा देतीं और कभी-कभी मुझे गले लगाने के लिए अपनी बांहें फैला देतीं.
मैं भी बिंदास उनकी बांहों की गर्मी लेने के लिए उनके सीने से लग जाता.

आंटी भी मुझे जोर से गले से लगा लेतीं, मैं बिल्कुल से उनके चूचों से सट जाता.

तब आंटी कहतीं- तुम भी बहुत स्वीट हो, अगर निकिता से फुर्सत मिले तो मुझ पर भी ध्यान दे दिया करो.

खैर … ये सब मुझे मजाक की बातें लगती थीं मगर हमारे बीच बराबर होती रहती थीं.
आंटी के बार-बार ऐसा करने से उनके प्रति मेरा भी नजरिया धीरे-धीरे बदलने लगा.

वह कहते हैं ना कि कभी-कभी मन में जिस तरह की हल्की सी भी बातें आती हैं, उससे ऐसी स्थितियां बनने लगती हैं कि वो कामनाएं पूरी हो ही जाती हैं.

निकिता कॉलेज के अलावा भी कुछ और काम में सम्मिलित रहती थी, तो उसी में से किसी काम के लिए उसे एक बार 15 दिनों के लिए शहर से बाहर जाना पड़ गया.

उन पंद्रह दिनों तक उसे वहीं पर रहना था और अपना एक प्रोजेक्ट पूरा करना था.

निकिता जाने को तैयार गई और मुझसे बोली- मम्मी का ख्याल रखना, अगर हो सके तो तुम यहीं आकर सो जाना.
मैंने भी उससे ‘ठीक है …’ बोल कर कहा- तुम बेफिक्र जाओ, मैं तुम्हारी मम्मी का अच्छे से ख्याल रखूंगा.

उसके बाद मैं और रोमा आंटी निकिता को रेलवे स्टेशन पर छोड़कर बाहर निकले तो मैंने भी मजाक मजाक में रोमा आंटी से बोला- आपकी बार-बार शिकायत रहती थी कि मैं निकिता को ज्यादा समय देता हूं और आपने कहा भी था कि कभी निकिता से फुर्सत मिले, तो मुझ पर भी ध्यान देना. तो लीजिए 15 दिन तक मैं आप पर ही ध्यान दूंगा और आपका अच्छे से ख्याल रखूंगा.

इस बात पर रोमा आंटी ने मुझे बहुत ही प्यारी सी नजर से देखा और बोलीं- अच्छा बच्चू, मुझ पर लाइन मार रहे हो?
मैं थोड़ा शर्मा गया.

इस पर वह बोलीं- अरे शर्मा क्यों गए, ऐसे शर्मा कर पटाओगे मुझे?

मैंने कहा- आपने बात ही ऐसी ही बोली कि मुझे शर्म आ गई. लेकिन जब आप खुद ही पटी हुई हो, तो आपको पटाने की क्या जरूरत है. आप भी तो मेरी एक दोस्त ही हो आंटी.
इस पर रोमा आंटी ने कहा- दोस्तों कोई आंटी बोलता है क्या?

मैंने कहा- अब आपकी बेटी भी तो मेरी दोस्त है. मैं क्या करूं.
इस पर उन्होंने कहा- ठीक है आज मैं तुम्हारी समस्या को मैं दूर कर देती हूं.

मैंने उनकी तरफ सवालिया नजरों से देखा.
आंटी- अब से इन 15 दिनों तक तुम मुझे सिर्फ रोमा कहकर ही बुलाओगे और जितना प्यार तुम निकिता से करते हो, वह सारा प्यार इन 15 दिनों में मुझ पर लुटाओगे.

इतनी बात करते-करते हम कार में आकर बैठ गए और दूसरे को देखने लगे.

मैं मन ही मन सोच रहा था कि मैंने तो सोचा था कि इन पंद्रह दिनों में मैं कोशिश करूंगा इन पर लाइन मारने की … और पटाने की, मगर यह तो पहले से मेरे लौड़े के नीचे आने को मरी जा रही हैं.

मैं अभी इतना सोच ही रहा था कि उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघों पर रख दिया और सहलाने लगीं.
अभी मैं कुछ समझ पाता कि आंटी मेरे और करीब आ गईं.

आंटी ने अपना एक हाथ मेरे गाल पर रखकर पूछा- क्या सोच रहे हो?
मैंने उनसे पूछा- आपको किस तरह का प्यार मुझसे चाहिए रोमा जी?

इस बात पर वह मुस्कुराती हुई बोलीं- तुम कोई बुद्धू तो हो नहीं कि तुम्हें हर बात मैं खुल कर समझाऊं? मैं तुम्हारे सामने हमेशा इतनी अच्छी तरह से बन-ठन कर रहती हूं, इससे तुम्हें क्या लगता है कि मैं क्या चाहती हूँ. एक बार और … मैं ये भी जानती हूं कि तुम्हारे सेक्स संबंध निकिता के साथ भी हैं, फिर भी तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो. लेकिन तुम कभी मुझ पर ध्यान ही नहीं देते हो.
इतना कहते कहते आंटी मेरे और करीब आईं और उन्होंने मेरे होंठों पर एक किस कर दिया.
उनके होंठ मेरे होंठों का रस पीने लगे.

उनके किस करते ही अनायास ही मेरा हाथ उनके मम्मों पर चला गया और मैं आंटी का एक दूध दबाने लगा.

आंटी बड़े प्यार से मुझे किस कर रही थीं, अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल रही थीं, मैं भी उनकी जीभ को चूसने लगा था.

फिर मैं भी अपनी जीभ आंटी के मुँह में डालने लगा था.
वो भी मेरी जीभ को चूस रही थीं … बहुत ही आनन्द पूर्ण क्षण था वह.

उनके होंठों का रसपान करने में बहुत आनन्द आ रहा था.
साथ ही मैं आंटी की चूची को दबा रहा था तो उन्होंने अपना हाथ मेरे हाथ पर रख दिया और जोर जोर से अपने दूध को दबवाने लगीं.

थोड़ी देर किस करने के बाद आंटी खुद अलग हुईं और बोलीं- विक्की सब कुछ यहीं करोगे क्या? चलो घर चलते हैं.
मैं निरुत्तर भी था और लजा भी रहा था.

फिर आंटी बोलीं- शर्माओ नहीं, अब तुम समझ चुके हो कि मुझे तुमसे क्या चाहिए!
मैं उनकी वासना से भरी हुई आंखों में झांकने लगा.
उनकी आंखों से साफ़ नजर आ रहा था कि आज रोमा आंटी की चूत मेरे लंड का शिकार करने वाली थी.

तभी आंटी ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया और बोलीं- इसको मेरी सेवा करने दो. मैं जानती हूं कि तुम भी मुझे पसंद करते हो. मुझे उम्मीद थी कि तुम भी 15 दिनों में मुझ पर कोशिश करते. लेकिन मैं तुमसे ज्यादा व्याकुल थी और मैं एक भी दिन फालतू में जाने देना नहीं चाहती थी. इसीलिए मैंने जल्दी से प्यार की पहल की.

मुझे रोमा आंटी की ये बात बहुत पसंद आई कि जब चुदना ही है तो शर्म कैसी.

अब आंटी ने मेरा हाथ पकड़ लिया और एक हाथ से ड्राइव करने लगीं.
हम लोगों रास्ते में होटल से खाना खाकर चलने का तय किया और खाना खाकर अपने घर पर आ गए.

जैसे ही मैं उनके फ्लैट में अन्दर आया, उन्होंने जल्दी से फ्लैट का दरवाजा बंद किया और मुझे जोर से किस करने लगीं.

अब मैं भी उनके इस अंदाज का उत्तर उसी अंदाज में देने लगा.

वे मेरे लंड पर भी हाथ फेरने लगीं और बोलने लगीं- मैं तुम्हारी दीवानी हूं विक्की. कितने दिनों से मैं इस मौके के इंतजार में थीं. तुम्हें इशारा भी बहुत देती थी, लेकिन तुम मेरे इशारे को समझते ही नहीं थे.
मैं क्या कहता कि मैं निकिता की मम्मी समझ कर तुझे छोड़ रहा था आंटी … वरना अब तक तो कब का चोद चोद कर तेरी चूत का भोसड़ा बना चुका होता.

आंटी बोलने लगीं- विक्की मेरे राजा, तुम मुझे भरपूर चोदना, मैं भी तुम्हें बहुत प्यार करूंगी. तुमको निकिता के साथ जो करना हो, करते रहना. लेकिन मुझे भी थोड़ा थोड़ा प्यार देते रहना.

मैं भी आंटी को किस करते हुए गोद में उठाकर बेडरूम ले आया. मैं बोला- हां मेरी रानी, मैं भी तुम्हें चोदना चाह रहा था लेकिन पहल कैसे करूं यह समझ नहीं आ रहा था. अच्छा हुआ तुमने आगे से पहल की.

धीरे-धीरे मैं आंटी की गर्दन पर किस करने लगा और काटने लगा.
वो और ज्यादा उत्तेजित होने लगीं.

अब वे मुझे धीरे-धीरे नंगा करने लगी और मैं भी धीरे-धीरे आंटी के बदन से कपड़े निकालने लगा, उनकी चूचियों को जोर जोर से दबाने लगा. उनकी सलवार के अन्दर हाथ घुसा कर उनकी चूत पर हाथ फेरने लगा.

आंटी की चूत तो मानो जैसे पहले से पानी पानी हुई पड़ी थी.
जैसे ही मैं आंटी की चूत पर हाथ ले गया, वो आंह करती हुई मुझसे और ज्यादा चिपक गईं.

आंटी बोलीं- देखा, मेरी चूत तुम्हारा लंड लेने के लिए कितनी व्याकुल है. अब तुम खुद ही अनुमान लगाओ.

मैं अब धीरे-धीरे उन्हें पूरी नंगी कर चुका था.
उनकी चूत पूरी चिकनी थी. उन्होंने पूरी तैयारी की हुई थी.

पहली बार मैं रोमा आंटी को नंगी देख रहा था. वे किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थीं, मुझे तो अभी वो निकिता से भी ज्यादा सुंदर लग रही थीं.
उनकी नंगी जवानी पर मैं एक बार फिर से टूट पड़ा.

आंटी भी पागलों की तरह मेरा सर दबाने लगीं.
जहां जहां मैं किस करता, वहीं पर आंटी मुझे दबाने लगी थीं.

आंटी- आंह विकी मेरे राजा … आज मेरी प्यासी चूत की चुदाई कर दो … आंह जोर-जोर से मेरी चुदाई करो. मैं सिर्फ तुम्हारे लिए हूँ.

मैं रोमा आंटी के साथ से अभी थोड़ा और मजा लेना चाहता, उसके बाद उनकी बाद चुदाई करना चाहता था.

मैं उनकी दोनों चूचियों को बारी बारी से जोर जोर से चूस रहा था और काट रहा था.
वह तो जैसे मछली की तरह छटपटा रही थीं, मेरे सर को दबा रही थीं.

मैं अपना एक हाथ उनकी चूत पर धीरे धीरे रगड़ रहा था.
उनकी प्यासी और नशीली आंखों में देख कर मुझे भी मजा आ रहा था.

अब धीरे-धीरे आंटी ने भी अपना एक हाथ मेरे लंड पर रखा और जोर से दबाने लगीं.
उनकी सख्त पकड़ से मुझे भी धीरे-धीरे बर्दाश्त से बाहर होता जा रहा था.

इसी बीच वह तुरंत नीचे आईं और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मैं तो जैसे इसके लिए तैयार ही नहीं था.
लेकिन जैसे ही आंटी अपने मुँह में लंड लेकर जोर जोर से चूसने लगीं, मैं तो जैसे से आनन्द के सागर में गोते लगाने लगा.

वो इतनी जोर से और मस्ती से मेरे लंड को चूस रही थीं, मैं तो जैसे अचेतन हो गया था.

फिर मैंने अपने आपको संभाला और उनके द्वारा मेरे लंड को चूसने का आनन्द लेने लगा.

थोड़ी देर चूसने के बाद वह खुद अलग हुईं और बोलने लगीं- विक्की अब चोद भी दो.
मैं खुद अब आंटी की चुदाई करना चाहता था; मुझसे भी अब इंतजार नहीं हो रहा था.

मैंने उन्हें बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूत के पास अपना मुँह ले गया.
मैं आंटी की चूत को चूसने लगा.

वो सिहर उठीं और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं.
मैं भी जोर-जोर से उनकी चूत को चूसने लगा.

आंटी की चूत से जितना पानी पहले से निकला हुआ था, मैं उस सबको अपनी जीभ से चाट कर साफ़ कर रहा था.

मुझे आंटी की चूत का नमकीन पानी बहुत अच्छा लग रहा था. उनकी चूत से एक बहुत ही खुशबूदार सुगंध आ रही थी. मैं उसमें खोने सा लगा था.

आंटी को भी बहुत मजा आ रहा था और मुझे भी.
थोड़ी देर तक आंटी की चूत को चूसने के बाद मैं अलग हो गया और उनकी चूत पर लंड को रखकर रगड़ने लगा.

जैसे ही उनकी चूत पर मैं अपना लंड रगड़ता, वो अपनी गांड को उठा देतीं.

आंटी ऐसे रिएक्ट कर रही थीं मानो जल्दी से जल्दी मेरे लंड को अपने चूत में लेना चाह रही हों.
लेकिन मैं अभी आंटी की चूत को थोड़ा और रगड़ना चाह रहा था और मजा लेना चाह रहा था.

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद वह खुद उठीं और मेरे होंठों पर एक लंबी किस करती हुई बोलीं कि कितना तड़पाएगा रे तू … चोद दे ना मुझे.

ये कह कर आंटी ने मेरे लंड को अपनी चूत के छेद पर सैट किया और बोलीं- धक्का मार!
मैं भी उनकी आज्ञा का पालन करता जा रहा था.
मैंने उनको किस करते हुए एक जोरदार धक्का दे दिया.

एक ही धक्के में मेरा पूरा लंड आंटी की चूत में समाता चला गया.
उनकी तो जैसे सिसकारियां निकलने लगीं लेकिन मेरे होंठ उनके होंठों पर जमे हुए थे तो उनकी सिसकारियां दब गईं.
आंटी की चूत अभी भी बहुत टाइट थी.

मेरे लंड को ऐसा लगा जैसा किसी जगह जकड़ लिया गया हो.

कुछ पल बाद आंटी अपनी गांड को उचकाने लगीं.
मैं भी धक्के लगाने लगा और जोर जोर से चोदने लगा.

जैसे-जैसे मैं धक्के लगाता, उनकी कामुक सिसकारियां और जोर से निकलने लगतीं.

उनकी मादक सिसकारियों से मुझे और ज्यादा मजा आने लगता.
मैं और जोर से धक्के लगाने लगाता.

हमारी चुदाई अब जोर पकड़ चुकी थी.
बीच-बीच में मैं उनकी चूची पर भी किस करता, काटता.
वे इसका मजा लेतीं और मेरे सर को अपने चूचे पर दबा लेतीं.

मैं बहुत जोर-जोर आंटी की चूत में धक्के पर धक्के मारता जा रहा था; उन्हें पूरा मजा देते हुए उनकी चूत की चुदाई कर रहा था.
आंटी भी चुदाई का पूरा आनन्द ले रही थीं, उनकी दोनों टांगें फ़ैल चुकी थीं.

XX आंटी चुदाई कुछ देर करने के बाद उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया.
चूत में सैलाब आ गया था, लंड सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.

मैं झड़ा नहीं था इसलिए मैं एक पल के लिए भी नहीं रुका, उनकी चुदाई करता रहा.

थोड़ी ही देर बाद आंटी फिर से मेरा साथ देने लगीं.
मैं उनकी जोरदार चुदाई करता हुआ उन्हें चूमने लगा.

सच में आंटी की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था.
आंटी एक अनुभवी रांड की भांति मुझसे चूत चुदवा रही थीं और अपनी गांड उठा उठा कर मुझे भी पूरा मजा दे रही थीं.

इसी तरह करीब 25 मिनट तक चुदाई करने के बाद मेरा भी पानी निकलने को हुआ तो मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा.

मैंने आंटी से पूछा- पानी कहां निकालूं?
उन्होंने कहा- मैं बहुत दिन बाद चुद रही हूं विक्की, मेरे अन्दर ही रस निकालो. मैं तुम्हारे पानी को महसूस करना चाहती हूं.

मैं जोर जोर से धक्के मारने लगा.

उस समय उनकी भी सिसकारियां जोर-जोर से निकलने लगी थीं.
मुझे बहुत मजा आने लगा था, मैं दीन-दुनिया से बेखबर उनके दोनों चूचे पकड़कर धक्के मारने में लगा था.

मैं चरम पर आ गया था तो मेरी कसमसाहट बढ़ गई थी और मैं जोर-जोर से उनकी दोनों चूचियों को मसलने लगा.

बस कुछ ही क्षण में मेरा रस निकलने वाला था.
मैं करीब दस जोरदार धक्के के साथ आनन्द भरी आवाज के साथ उनकी चूत में ही स्खलित होने लगा, मैंने चार पांच पिचकारियों में अपना सारा पानी आंटी की चूत में निकाल दिया.

झड़ कर मैं एकदम से निढाल हो गया था इसलिए उनके ऊपर ही लेट गया.

मेरे साथ उनका भी पानी निकल गया था.
वो भी तेज तेज सांसें ले रही थीं.

थोड़ी देर उनके ऊपर पड़े रहने के बाद आंटी ने मेरे माथे पर एक प्यार भरा चुंबन दिया और मेरी आंखों में देखती हुई बोलीं- तुम्हारा बहुत-बहुत धन्यवाद विक्की. तुम्हारे साथ चुदाई करके बहुत आनन्द आया. अब तुम तक यहां रहोगे, मैं तुम्हें छोड़ने वाली नहीं हूं.

इस तरह 15 दिनों में हम दोनों ने चुदाई का बहुत भयंकर खेल खेला और एक दूसरे को खूब मजा दिया.

XX आंटी की देसी चुदाई की कहानी यहीं पर समाप्त होती है. मैं उम्मीद करता हूं दोस्तो कि आप लोगों को यह सेक्स कहानी अच्छी लगी होगी.

 

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