Bus Sex Hindi Sex Kahani – चलती बस में लौंडिया की गांड मारी


बस सेक्स हिंदी सेक्स कहानी में मैंने चलती बस में एक जवान देसी लड़की को पटा कर उसकी गांड मारी. बस लगभग खाली ही थी तो हमें मौक़ा मिल गया था.

फ्रेंड्स, मैं रोहित अरोरा आप सभी को चलती बस में एक कमसिन लौंडिया की चुदाई कहानी सुना रहा था.
कहानी के पहले भाग
बस में मिली चालू जवान लड़की
में अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे सामने बैठी वो कमसिन लडकी मेरे लंड को देखते ही कसमसाने लगी.

अब आगे बस सेक्स हिंदी सेक्स कहानी:

उधर उसकी नजरें मेरे लंड पर लगी थीं और इधर मेरा लंड झटके पर झटके मार रहा था.
अब वो भी पूरी बेशर्म होकर मेरे लंड को देखने लगी थी. उसके होंठ सूखने लगे थे और वो अपनी जीभ को अपने होंठों पर फेरने लगी थी.

हाल तो मेरा भी बहुत बुरा होने लगा था, मेरे भी होंठ सूखने लगे थे.
मैंने उसको इशारे से अपने पास आने को कहा, तो उसने सर झुका कर ना के इशारे में सर हिला दिया.

मैंने उससे इशारे से पूछा कि मैं वहां आ जाऊं?
तो उसने कुछ जवाब नहीं दिया और अपना सिर झुका लिया, पर अपनी नज़रें मेरे लंड से नहीं हटाईं.

मैं समझ गया कि उसने मौन स्वीकृति दे दी है.
बस यही टाइम था, मुझे अपनी मर्दानगी दिखाने का.

मैं झट से अपनी सीट से उठा और इससे पहले की किसी की नज़र मुझ पर या उस पर जाती, मैं उसकी सीट पर जाकर उससे एकदम से चिपक कर बैठ गया.

मेरी एक सीट से दूसरी सीट पर जाने की हरकत से कुछ लोगों का ध्यान मेरी तरफ गया, लेकिन क्योंकि मैंने उस आंटी के साथ खाना भी खाया था, तो लोग मुझे और उस लड़की को भाई बहन समझ रहे थे.
फिर सब लोग अपनी अपनी दुनियां में व्यस्त हो गए, तो मैंने आगे बढ़ने का सोचा.

वो लड़की थोड़ी सी घबराई हुई दिख रही थी और वो बार बार पीछे मुड़ कर अपनी मम्मी की तरफ देख रही थी.
पर उसकी मम्मी को कोई होश ही नहीं था, वो तो घोड़े बेच कर सोई हुई थीं.

मैं उसके साथ एकदम चिपक कर बैठ गया और उसकी जांघों पर धीरे धीरे हाथ फिराने लगा, जिससे वो गर्म होने लगी और उसके मुँह से मस्ती वाली सिसकारियां निकलने लगीं.

मैंने उससे पूछा- तुम्हारा नाम क्या है?
तो उसने बताया- सलोनी.
फिर उसने मुझसे मेरा नाम पूछा, तो मैंने बताया- रोहित.

मैंने अपना हाथ उसकी जांघ पर फेरते फेरते उसका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रख दिया.
मेरा लंड एकदम टाइट और गर्म हो चुका था.
उसने घबरा कर एकदम अपना हाथ पीछे खींच लिया.

मैं एक हाथ से उसकी जांघ को सहला रहा था. मैंने अपना दूसरा हाथ उसकी कमर के पीछे से ले जाकर उसके एक मम्मे को पकड़ लिया और सहलाने लगा.
आहह … क्या मज़ा आ रहा था. उसके दूध एकदम टाइट थे और उसके निप्पल तने हुए थे.

मैंने धीरे से अपने अंगूठे और उंगली से उसके निप्पल को उमेठ दिया.
वो तड़प उठी और उसके मुँह से एक मीठी सिसकारी निकल गयी.
फिर उसने खुद ही अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ लिया और ऊपर नीचे करने लगी.

आह दोस्तो … क्या बताऊं … क्या अहसास था … उसकी नर्म मुट्ठी में लंड टाइट हो कर फड़फड़ाने लगा.

मैंने अपना एक हाथ (जिससे मैं उसकी जांघ को सहला रहा था) उसकी स्कर्ट के अन्दर डाल दिया और पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाने लगा.

वो पागल हो गयी, उसकी आंखें बंद हो गईं और उसकी सांसें भारी होने लगीं.
उसके दोनों मम्मे ऐसे ऊपर नीचे होने लगे, जैसे वो मुझे बुला रहे हों.

मैं उसकी चूत को सहलाते हुए ही उसकी शर्ट के ऊपर से उसके बाएं दूध को अपने मुँह में लेकर चूसने लगा.

अब उसके लिए सहन करना मुश्किल होता जा रहा था, वो बहुत छटपटाने लगी.
मैंने उसकी पैंटी के ऊपर वाली इलास्टिक में अपनी उंगली डाली और उसकी पैंटी को नीचे खींचने लगा.

इससे उसकी पैंटी आगे की साइड से तो पूरी नीचे सरक गयी पर पीछे की साइड से वो हिप्स के नीचे फंसी हुई थी.
उसने फुसफुसा कर कहा- ये क्या कर रहे हो रोहित, कोई देख लेगा तो बहुत प्राब्लम हो जाएगी. ऐसे ही कर लो ना!

मैंने कहा- सलोनी डार्लिंग, अब मैं पूरा मज़ा लिए बिने तो छोड़ूँगा नहीं तुझे.
उसने कहा- पैंटी आगे से उतार तो गयी है, पूरी उतारने की क्या ज़रूरत है?
मैंने कहा- डार्लिंग पैंटी पूरी उतार कर ही मज़ा आएगा.

वो धीरे से अपनी सीट पर थोड़ा ऊपर उठी और मैंने झट से उसकी पैंटी को उसके हिप्स के नीचे से खींच लिया और उसके पैरों से बाहर निकाल दी.
अब वो नीचे से पूरी नंगी हो चुकी थी.

उसने मेरे हाथ से अपनी पैंटी ली और फटाफट अपने बैग में रख ली.

मेरा पूरा हाथ उसकी चूत को सहलाने लगा था.
वो फिर से हवा में उड़ने लगी और उसकी आंखें बंद होने लगीं.

तभी मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
वो एकदम से चिहुंक गयी और तड़पने लगी, उसके मुँह से मीठी मीठी सिसकारियां निकलने लगीं.

उसने गर्म होकर मेरे लंड को पकड़ लिया और अपनी मुट्ठी में भींच कर ऊपर नीचे करने लगी.
मैंने उसकी शर्ट के ऊपर के दो बटन खोल दिए और हाथ अन्दर हाथ डाल कर उसके दोनों मम्मों को ब्रा से बाहर निकाल लिया.

वो भी मेरा पूरा साथ दे रही थी.
मैं एक हाथ से उसकी चूत में उंगली कर रहा था, दूसरे हाथ से उसके एक मम्मे को खसोट रहा था, बेरहमी से मसल रहा था.
उसका एक मम्मा मेरे मुँह में था.

हम दोनों ही मस्ती की लहरों पर सवार थे.
मैं अपने दांतों से उसके निप्पल को हल्का हल्का काटने लगा और भी ज़ोर ज़ोर से उसके मम्मे को, बिल्कुल एक भूखे बच्चे की तरह चूसने लगा.

मेरी ये बेकरारी उसे और भी पागल बना रही थी.
वो लगातार सिसकारियां भर रही थी और अपने सिर को इधर उधर झटक रही थी.

उसने अपनी मुट्ठी को और भी टाइट कर लिया और ज़ोर ज़ोर से मुठ मारने लगी.
मैंने भी अपनी उंगली की स्पीड बढ़ा दी और बेतहाशा उसकी चूत को अपनी उंगली से चोदने लगा.

करीब 20 मिनट की इस उंगली चुदाई के बाद उसका पूरा बदन अकड़ने लगा और अचानक मुझे अपनी उंगली पर कुछ चिपचिपा सा महसूस हुआ.
मैं समझ गया कि सलोनी की चूत ने पानी छोड़ दिया.

मैं और भी ज़ोर ज़ोर से उंगली अन्दर बाहर करने लगा.
थोड़ी देर बाद उसने मेरे हाथ को पकड़ कर रोक दिया, वो ज़ोर ज़ोर से हांफने लगी.

मैं समझ गया कि इसका पूरा पानी निकल गया है.
वो बड़े प्यार से मुझे देखती हुई मुस्कराने लगी.

मैंने अपनी उंगली उसकी चूत से बाहर निकाल ली और उसने अपनी पैंटी (जो उसने पहले पहनी हुई थी) बैग से बाहर निकाली और उसी से मेरी उंगली को साफ़ करने लगी.

मैंने कहा- ये क्या कर रही हो, तुम्हारी पैंटी गंदी हो जाएगी, तुम्हें पहनना भी तो है!
उसने बड़े प्यार से कहा कि कोई बात नहीं, अब मैं पूरे रास्ते ऐसे ही नंगी बैठूंगी.

यह कहते हुए उसने अपनी पैंटी को वापिस अपने बैग में रख लिया.
अब मैंने उससे कहा- सलोनी की प्लीज़ मेरे लंड को चूसो, ये तुम्हारे मुँह में जाने के लिए तड़प रहा है.

उसने मुझे हाथ के इशारे से थोड़ा दूर हट कर बैठने के लिए कहा.
पहले तो मैं समझ ही नहीं पाया. तभी उसने मुझे थोड़ा सा बाहर की साइड धक्का दिया और मैं सीट के कोने के पास आ गया.

तभी मुझे उसका प्लान समझ आ गया. क्योंकि मैं उससे चिपक कर बैठा रहता तो बीच में उसके लिए जगह ही नहीं थी.
जब मैं थोड़ा दूर होकर बैठ गया, तो वो धीरे से मेरी गोद में अपने सिर रख कर ऐसे लेट गयी, जैसे कोई छोटी बहन अपने भाई के गोद में सिर रख कर सोती है.

उसने अपना मुँह खोला और मेरे लंड को अपने जीभ से चाटने लगी. उसकी जीभ का स्पर्श पाते ही मेरा लंड एकदम से अकड़ने लगा और बार बार झटके मारने लगा.
“आआ अहह … उहह इश्स स्स्स्शह … मज़ा आ गया … सलोनीईई … मेरी जान … बड़ा मज़ा आ रहा है … आह क्या चूसती हो तुम!”

उसने अपने मुँह खोला और मेरे लंड को अपने मुँह में लेती चली गयी.

अब पागल होने के मेरी बारी थी.
मेरे मुँह से मीठी मीठी सिसकारियां निकलने लगीं ‘आआह … ओह …’

मेरा बांया हाथ उसके नीचे दबा हुआ था और जैसे ही वो मेरी गोदी में झुकी, उसका एक दूध एकदम से मेरी हथेली पर आ गया, जिसे मैंने झट से पकड़ लिया और धीरे धीरे मसलने लगा.

उसके मुँह से भी ‘आआअहह … उऊहह …’ निकलने लगा.
मैंने उसके पीछे की साइड से उसकी स्कर्ट को उठा दिया और उसके हिप्स को पूरी तरह से नंगा करके अपने हाथ से सहलाने लगा, अपनी हथेलियों को गोल गोल घुमाने लगा.
मेरी इस हरकत से उसे भी मज़ा आने लगा और उसने ज़ोर ज़ोर से अपने मुँह को मेरे लंड को निगलना शुरू कर दिया.

वो धीरे धीरे अपनी गांड को आगे पीछे करने लगी और मेरे हाथ पर रगड़ने लगी.
मेरी सांसें भी भारी होने लगीं, मेरा सीना ऊपर नीचे होने लगा और इसी मस्ती में मैंने अपनी एक उंगली उसके पीछे वाले छेद में डाल दी और धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा.

इससे वो बुरी तरह से मेरे लंड को खाने लगी.
तभी मैंने उसके सर को पकड़ा और उसे उठा कर कहा कि सलोनी आओ मेरी गोदी में बैठ जाओ.

उसने इधर-उधर देखा कि कोई देख तो नहीं रहा है.
मैंने भी उससे कहा- यार कोई नहीं देख रहा है, आ जाओ.

वो धीरे से उठी और आकर मेरी गोदी में बैठ गयी.
वहां पर जगह इतनी कम थी कि मैं धक्के तो नहीं लगा सकता था.

तो सालोनी ने मेरे गोदी मैं बैठ कर मेरे लंड को अपने दोनों हिप्स के बीच में ले लिया और धीरे धीरे आगे पीछे होने लगी.
मैंने कहा कि सलोनी लंड को अपने अन्दर ले लो.

वो फिर से उठी और इस बार उसने अपने पीछे वाले छेद को मेरे लंड के ऊपर रखा और धीरे धीरे नीचे बैठती चली गयी.
मेरा लंड पूरा का पूरा उसकी गांड के अन्दर था. वो हल्के हल्के मेरी गोदी में उठने-बैठने लगी.

मैंने भी बेचैन होकर अपनी गांड को आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाल दी और अपने लंड से धक्के लगाने लगा, मैं एक हाथ से उसके दूध को मसलने लगा. कभी मैं उंगली उसकी चूत में डाल देता और दूसरे हाथ से उसके दूध को रगड़ देता.

हम दोनों ही बहुत गर्म हो चुके थे. मैं उसके नीचे बैठे बैठे ही अपनी गांड को ज़ोर ज़ोर से आगे पीछे करने लगा.
इससे मेरा लंड तेज़ी से उसकी गांड में अन्दर बाहर होने लगा और उधर सलोनी ने मेरी गोदी में उठने बैठने की स्पीड बढ़ा दी.

हम दोनों के मुँह से बेतहाशा सिसकारियां निकलने लगीं.
सलोनी- आह रोहित … बड़ा मज़ा आ रहा है. प्लीज़ ऐसे ही मुझे चोदते रहो.

मैं- हां मेरी रानी … मुझे भी तुझे चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है.
हम दोनों ने अपने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी.

जब वो मेरी गोद में उठती बैठती थी तो उसके हिप्स मेरी जांघों पर पड़ते और हल्की हल्की सी फट फट की आवाज़ आने लगती जो मुझे और भी मदहोश कर देती थी.
हालांकि वो आवाज बस में किसी को सुनाई नहीं दे सकती थी.

फिर मैंने अपने दोनों हाथ उसकी कमर में डाले और ताबड़तोड़ उसे पेलने लगा.

करीब आधा घंटा की चुदाई के बाद मेरे अन्दर का लावा उबलने लगा था. मुझे पता था कि अब मेरा निकलने वाला है. हम दोनों बुरी तरह हांफ रहे थे.
मैंने सलोनी को अपनी गोदी से उठाया और पहले की तरह खिड़की के पास बैठा दिया.

वो दोबारा मेरी गोद में झुकी और मेरे लंड को ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी.
करीब कुछ धक्कों के बाद मेरा बदन अकड़ने लगा, मेरी सांसें बुरी तरह से फूलने लगीं.

तभी मेरा लंड उसके मुँह के अन्दर और भी सख़्त और मोटा हो गया और अचानक से मेरे लंड से पिचकारी निकल कर सीधे सलोनी के गले में जा लगी.

सलोनी ने मेरा सारा रस पी लिया और मेरे लंड को पूरा अपने मुँह में भर लिया.
उसने अपने मुँह को ऊपर नीचे करना छोड़ दिया और वो मेरा बचा हुआ रस पीने लगी.

उसने मेरे लंड को अपनी जीभ से चाट चाट कर एकदम साफ़ कर दिया.
मैंने एक बार फिर से उसके होंठों को चूमा और अपने लंड को अपनी चड्डी के अन्दर कर लिया.

मैं अपनी ज़िप को बंद करके थोड़ी देर उसके पास बैठा रहा.
सलोनी बड़े प्यार से मुझे देखे जा रही थी, उसके होंठों पर एक बड़ी प्यारी सी मुस्कान थी.

उसने मुझे एक बार फिर से चूमा और कहा- थैंक्यू, मुझे आज बड़ा मज़ा आया.
मैंने कहा- मेरी जान, जितना मज़ा तुम्हें आया, मुझे भी उतना ही मज़ा आया, सो थैंक्स टू यू ऑल्सो.

ये कहते हुए मैं सीट से उठा और पहले की तरह अपनी सीट पर आकर बैठ गया.

सलोनी ने अपनी स्कर्ट को ठीक किया, अपनी शर्ट के बटन्स को बंद किया और वो सीधी होकर अपनी सीट पर बैठ गयी.

तो दोस्तो, कैसी लगी आपको मेरी ये बस सेक्स हिंदी सेक्स कहानी?
अपने कमेंट्स मुझे मेरी ईमेल आईडी पर ज़रूर भेजें और मेरा हौसला बढ़ाएं.

मैं जल्द ही एक और सच्ची घटना के साथ आप लोगों के सामने आऊंगा.
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