Desi Chut Sex Kahani – मनचली गर्म लड़की को थी लंड की जरूरत


देसी चूत सेक्स कहानी में पढ़ें कि मैं सेक्सी माल हूँ पर घर में रोक टोक के कारण शादी से पहले मैं सेक्स के मजे नहीं ले पायी. पर मेरा पति भी फिसड्डी निकला तो …

लेखक की पिछली कहानी थी: चढ़ती जवानी में सेक्स की चाह

मैं रीना … मेरी उम्र 28 साल है और मेरा मखमली फिगर 36-28-38 का है.

इससे आप लोगों को यह अंदाज़ा तो लगा होगा कि मैं कितनी मस्त माल हूँ.
फिर ऊपर से मैं एकदम दूध सी गोरी हूँ.

कम उम्र में ही मेरे शरीर की कसावट किसी शादीशुदा औरत की तरह हो गयी थी.
मेरे होंठ हल्के गुलाबी हैं और मेरे निप्पल और चूत भी काली नहीं, बल्कि हल्की गुलाबी है और मैं एकदम चिकनी चूत की मालकिन हूँ.

गांड मेरी तो डबल बेड के गद्दे से कम नहीं, जो एकदम कसी हुई है.
पतली कमर और काफी भरी हुई सी मेरी छाती है जो एकदम टाइट है.
और मेरे गाल में जैसे रसगुल्ला भरा हो और मेरे लंबे घने बाल मतलब मैं बला की खूबसूरत हूँ.

जब आज मैं ये अपनी देसी चूत सेक्स कहानी लिख रही हूँ तो मेरी शादी को दो साल हो गए हैं.

शादी से पहले मैं थी बड़ी मनचली और हमेशा लंड बुर और चुदाई के बारे में सोचती रहती थी.
मोबाइल में मैंने खूब पोर्न और अन्तर्वासना का साथ लिया है.

लेकिन शादी से पहले दिक्कत यह थी कि मैं एक सभ्य घर से हूँ. मेरे पिता जी एक पंडित हैं. मुझ पर मेरे घर में बहुत रोक-टोक थी.
मेरे पापा मुझे स्कूल ले कर जाते और आते थे.
और वो स्कूल भी सिर्फ लड़कियों का था.

मैं कभी मौका पाती घर से या मम्मी के साथ बाजार जाती या शादी वगैरह में तो मुझे बहुत मर्द और लड़के घूरते थे.
कोई मेरी मटकती गांड देख कर खुद के लंड को मसलता तो कोई मेरे बड़े, मोटे और टाइट बूब्स को … और चेहरे पर तो सब फिदा थे.

काफी लड़कों ने मुझे कागज में नंबर लिख कर फेंका लेकिन घर और अपने पिता जी के कारण मैंने कभी उसमें कुछ आगे नहीं कदम बढ़ाया.
मैं बस यही सोच कर खुश होती कि मेरी पति ही मुझे जबरदस्त चोदेगा.

अब पढ़ाई के बाद पिता जी ने मेरी शादी एक सभ्य घर में एक लड़के से करा दी, जिसका बाकी का परिवार जिसमें उसके माता, पिता गांव में रहते थे.

मेरे पति एक हवलदार हैं.
इनकी पोस्टिंग शहर में थी गांव से काफी दूर.
यहां इन्होंने निजी मकान भी बनवा रखा था जहां शादी के कुछ महीनों बाद ये मुझे अपने साथ यहां ले आए.

अब यहां से शुरू होती है मेरी देसी सेक्सी चुदाई की कहानी, जिसका आप मुठ मारते हुए या योनि में उंगली करते हुए आनन्द लें.
मैं जितनी गर्म औरत थी, मुझे मेरा पति उतना ठंडा मिला.

सुहागरात में मेरे पति ने मेरी सील अपनी उंगली से खोली.
जब तक मैं गर्म हुई, हवलदार जी खुद ही झटके लेते हुए आनन्द में झड़ गए.
जिसके बाद मुझे अपनी सुहागरात वाले दिन अपनी बुर में उंगली करके अपना पानी निकालना पड़ा.

इसी तरह कुछ महीने गुजरे.

एक दिन बाजार जाते समय एक प्रचार वाले ने मुझे एक पर्चा पकड़ा दिया, जिसको घर आकर मैंने देखा.

वो एक पढ़ाई से संबंधित एक इंस्टीट्यूट का था, जहां हर तरह के कोर्स कराये जाते हैं. सरकारी होने के वजह से ये सस्ता भी था.
जब इसकी ज़्यादा जानकारी मैंने नेट पर ली तो इसका कोर्स सिलाई कढ़ाई से संबंधित था.

जब मेरे पति शाम को घर आए तो उनसे मैंने ये कोर्स करने की इच्छा दिखाई.
इसके लिए वे तैयार हो गए.

पति मेरे बिस्तर के सुख के लिए नहीं थे लेकिन वो मुझपे अंधविश्वास करते थे.
उन्होंने मेरे कहीं आने जाने पर कभी कोई रोक नहीं लगाई और ना ही किसी तरह के कपड़े पहनने पर.
मतलब वो मुझे सब कुछ करने देते थे मुझ पर किसी तरह की कोई रोक नहीं थी.

अब अगले दिन मैंने एक साइबर कैफे पर जाकर अपना रजिस्ट्रेशन करवा लिया जिसके एक महीने बाद लिस्ट में मेरा नाम आ गया और मैं अकेले ही वहां एडमिशन लेने गयी.

वहां का माहौल बड़ा खुला हुआ था, लड़के लड़की आपस में बात कर रहे थे.
कोई लड़का किसी लड़की का हाथ पकड़ कर घूम रहा था.

तो मुझे भी अपने पुराने शौक ताज़ा हुए!
जिनको मैं तब न कर सकी, उनको अब कर सकती थी.

अब मैंने एडमिशन लेने के बाद वहां का ड्रेस पूछा.
जिसके बाद घर आते समय मैंने उसी रंग का कपड़ा ले लिया जिसको मैंने खुद सिलने को सोचा.

शाम को जब मेरे पति घर आए तो उनको बताया तो वो भी खुश हुए.

रात ही में मैंने अपना ड्रेस सिल लिया.

वहां लड़कियों के लिए तीन तरह के ड्रेस थे, जैसे शादीशुदा अगर साड़ी पहने या सूट और लड़कियों के लिए पैंट-शर्ट जो लड़कों का भी ड्रैस था.

मैंने एक बहुत सेक्सी सा ब्लाउज सिला.
ब्लाउज का कपड़ा एकदम हल्का पीला और झीना था, जिसमें मैंने स्लीवलेस और आगे से काफी डीप रखा और पीछे से एक बस दो उगल बराबर एक पट्टी थी हुक वाली.

अगले दिन मेरा समय 10 बजे का था.
मेरे पति साढ़े आठ बजे काम पर निकल गए.

उसके बाद मैं घर का सारा काम करने के बाद नहाई और उसके बाद वही ड्रैस वाली साड़ी पहन कर खुद को शीशे में देखा, तो उस साड़ी में मैं एकदम कड़क माल लग रही थी.

मेरी अच्छी खासी छाती और मेरे भरे हुए चूचों के बीच की घाटी और मेरा पूरा नंगा गोरा हाथ और पतली कमर और नाभि और पेट, पीठ का भाग भी खुला था क्योंकि मैंने साड़ी नाभि के बहुत नीचे बांधी थी.

मैंने लाल चूड़ी पहनी, सिंदूर और लाल बिंदी और एकदम लाल रंग की लाली लगाई और हाथ पैरों के नाखूनों पर लाल नेलपैंट.

अब मैं एकदम पटाखा माल बन कर तैयार हो गयी थी.

मैं साढ़े 9 बजे तक घर से निकली.
जैसे ही अपनी गली से बाहर निकल कर मैं सड़क पर आयी, सब मुझे घूरने लगे.

मैं सबको नजरअंदाज करते हुए दूसरे साइड पर जाकर खड़ी हो गयी.
तभी एक ऑटो मेरे पास रुकी, जिसमें मैं बैठ गयी.

ऑटो वाला भी मुझे शीशे में देखते हुए चला रहा था. उसकी ऑटो बहुत उछल रही थी, जिससे मेरे दोनों बड़े बड़े बूब्स खूब उछल रहे थे.

कुछ देर बाद एक स्टॉप पर उसने रोका और सवारी भरी. मेरे सामने एक आदमी बैठा था, जो मुझे लगातार घूर रहा था.
उसने मेरे पूरे शरीर की नाप अपनी आंखों से ले ली.

अन्ततः मैं अपने इंस्टीटयूट पहुंची और उतरते समय उस आदमी ने मेरी गांड पर अपना हाथ लगा दिया.
उसके बाद मैं ऑटो वाले को पैसे देकर अन्दर आ गयी.

मैं अन्दर आकर अपना क्लास पूछती हुई आयी तो मालूम चला मेरे ट्रेड की टीचर लेडीज थी लेकिन वो प्रग्नेंसी के चलते छुट्टी पर थी.
तो हमारी क्लास की सभी लड़कियों और मुझे एक दूसरी क्लास में साथ बिठाया गया जो एक कंप्यूटर की क्लास थी.

इस क्लास के टीचर जिनका नाम समर था, वो 30 साल के आसपास के थे.
बाद में मालूम चला वो अभी कुंवारे थे.

मेरी क्लास में तो सब लड़कियां थीं लेकिन इस दूसरी क्लास में करीब 10 लड़के भी अब हमारे साथ थे.
उन सबने और मेरे टीचर ने मुझे आज पूरे दिन बड़ा घूर घूर कर देखा क्योंकि मेरी कमर खुली थी.

उस पर जब मैं क्लास से बाहर जाती या अन्दर आती तो मेरी मटकती गांड और मेरे कुछ खुले बड़े बड़े मम्मों पर सबकी नजरें टिकी थीं.

पहला दिन था इसलिए मैंने किसी से कोई खास बात नहीं की और शाम तक मैं अपने घर आ गयी.

अगले दिन मैं फिर उसी तरह पहुंची लेकिन आज मुझे पहुंचने में थोड़ी देर हो गयी.
क्लास में अटेंडेंस हो गयी थी.

तो मैंने एक लड़की से पूछा- अब मेरी अटेंडेंस कैसे लगेगी?
उसने एक लड़के का नाम बताया और बोली- रजिस्टर सर उसी को देकर जाते हैं. वही क्लास का मॉनिटर भी है. उसी से बोलो, तो शायद वो लगा दे.

मैं उसके पास गई और उसको अपना नाम बताया और उससे भी उसका नाम पूछा.
फिर उससे अपनी अटेंडेंस के लिए बोला तो उसने लगा दी.

मेरे सर क्लास में आए और पूछने लगे- कौन सिलाई अच्छी कर लेता है?
तो कोई लड़की नहीं बोली.

मैं एकदम आगे बैठी थी तो समर सर मुझे देख कर पूछने लगे- तुम कर लेती हो?
मैंने हां में जवाब दिया.
तो सर बोले- आओ मेरे साथ.

वो मुझे मेरे दूसरे रूम में ले गए जहां सिलाई मशीन रखी थी.

उन्होंने मुझे कुछ कपड़े दिए, बोले- इसको सिलना है.
वो भी उसी क्लास में अपनी कुर्सी पर कान में लीड लगा कर बैठ गए और मैं उन्हीं के सामने वाली सिलाई मशीन में कपड़ा सिलने बैठ गयी.

अभी कुछ ही देर हुई थी कि सिलते समय मेरी कैंची नीचे गिर गयी.
कैंची उठाने जब मैं नीचे झुकी और अचानक से मेरी निगाह सामने गयी जहां सर बैठे थे.
मैंने देखा कि वो नीचे अपना लंड पैंट के ऊपर से मसल रहे थे.

इससे मैंने अंदाज लगाया कि वो मोबाइल में कुछ गर्म सेक्सी चीज देख रहे थे जिससे सर का माहौल बना था.
जब मैं ऊपर उठी तो मेरा पल्लू सरक गया, जिसको मैंने बिना ठीक किए हुए अपना काम जारी रखा.

कुछ देर बाद मैंने देखा कि सर मेरे हल्के खुले मम्मों को बड़ा घूर घूर कर देख रहे थे.
पर मैं उनको नजरअंदाज करके अपने काम में लगी थी.

कुछ देर सिलाई करने के बाद मैं अपनी क्लास में आ गयी.
फिर कुछ लड़कों से मेरी बात भी हुई और हमारी क्लास का एक ग्रुप भी बना व्हाट्सअप पे.
जिसमें मुझे भी जोड़ा गया.

शाम को जब मैं ऑटो से घर आने लगी, तो 20 साल का एक लड़का मेरे बगल बैठा था जो भीड़ का फायदा उठा कर अपनी कोहनी से मेरे बूब्स पर टच करता रहा.
मैं उसके मजे लेती हुई घर आ गयी.

घर में मैं आराम कर रही थी, तभी टेबल पर रखे कार्ड पर मेरी नजर पड़ी.
उसे उठाकर देखा तो आज रात को शादी थी.

तो मैंने पति को फोन करके याद दिलाया.
उन्होंने बोला- हां चलना है. आठ बजे तक तैयार हो जाना, मैं भी आता हूँ फिर चलेंगे.

सात बजे तक नहाकर मैंने अपनी तैयारी शुरू कर दी.

आज मैंने एक काले रंग की नेट वाली साड़ी पहनी, जिसका ब्लाउज मैंने ही सिला था. ये भी स्लीवलेस और बैकलेस था मतलब पीछे बस एक डोरी और आगे से भी काफी डीप गला था.
इतने खुले ब्लाउज पर ब्रा नहीं पहनी जाती.
मैंने खूब बढ़िया मेकअप किया.

फिर पति भी आ गए.
वो भी जल्दी से तैयार हुए और हम लोग 8 बजे के करीब घर से बाहर रोड पर ऑटो पकड़ने के लिए आ गए.

एक ऑटो रुकी हमारे पास.
उसमें अन्दर कुछ लोग बैठे थे लेकिन अंधेरा था तो ऑटो वाले ने पीछे की लाइट जला दी.

ऑटो में एक तरफ तीन लोग बैठे थे. सीट पर पहले एक औरत बैठी थी, फिर एक 18-19 साल का एक मस्त लौंडा बैठा था.

मैं लड़के को देखकर उसी के बगल में बैठ गयी.
अब यहां जगह बची ना थी तो मेरे पति आगे ड्राईवर के पास बैठ गए.

ऑटो वाले ने लाइट बंद कर दी.

वो लड़का एकदम मेरे बगल बैठा था और बाहर से हल्की रोशनी पड़ने पर मेरे स्तन की गहरी घाटी दिख रही थी. उसी में उस लड़के की नजरें टिकी थीं.

तभी फिर से ऑटो रुका और उसमें दो औरतें और चढ़ गई. एक सामने की तरफ से बैठी और दूसरी इस तरफ लड़के के बगल में!
इससे मैं उस लड़के को जगह देने के लिए एकदम किनारे को घुस गई.

फिर जब वो औरत जगह बना कर बैठी तो वो लड़का एकदम से मुझमें घुस सा गया, जिससे मेरी नंगी बांह पर उसके होंठ एक दो बार पड़े.
मैंने कोई विरोध नहीं किया तो उसने अपना हाथ पीछे रख लिया.

अब वो मेरी पीठ अपनी बाजू से रगड़ने लगा और मेरे किसी भी तरह के विरोध न करने से अब वो मेरी पीठ अपने हाथों से सहलाने लगा.

कुछ देर के बाद उसने वो हाथ नीचे मेरी कमर पर रखा, जिससे मैं एकदम से उत्तेजित हो गयी.
उसने मेरी उत्तेजना भांप ली.
अब वो अपना हाथ पीछे से मेरी कमर में डाल कर सहलाने लगा.

अब मैं भी अपना दूसरा हाथ उसकी जांघ पर रखकर उसकी तरफ झुक गई.
उसने भी समय न लगाते हुए मेरी नाभि में उंगली कर दी, जिससे एकाएक मेरी हल्की सी कराह निकल गयी.

अब वो मेरे पेट को सहलाते हुए मेरे उरोज पर आया और हल्के से दबा दिया. इसके बाद वो जोर जोर से मेरी चूची दबाने लगा.

मैं अपने होंठ को अपने दांतों के बीच फंसा कर अपनी उत्तेजना को छुपाए थी.

इसी तरह वो पूरे रास्ते भर मुझसे मज़ा लेते हुए गया.

अब एक एक करके सारी सवारी उतर गयी.
अंत में हमारा भी स्टॉप आया.

जब मैं उतरने लगी तो उसने मेरी गांड को मसला.

मैं नीचे उतर कर उसको देखती हुई उसे दिखाने के लिए अपने पति से बोली- हम लोग कब तक वापसी करेंगे?
तो मेरे पति बोले- बस एक घंटे बाद.
मैं उस लड़के को देखती हुई बोली- ठीक है.

वो लड़का भी वहीं उतर कर कहीं चला गया.
इसके बाद हम दोनों शादी के पंडाल में चले गए.

वहां अन्दर माहौल सामान्य था लेकिन भीड़ ज़्यादा थी.
सब मेरे ही बदन को आंख फाड़ फाड़ कर देख रहे थे.

फिर मेरे पति मुझसे अलग अपने दोस्तों के साथ हो लिए.
मैं अकेली हो गयी.

मैंने सोचा कि कुछ चाट टिक्की खा लूं.
तो भीड़ में मैं भी घुसी.

किसी ने पहले तो मेरी गांड मसली, फिर कुछ का हाथ मेरी चूचियों पर भी पड़ा.

जब मैं टिक्की लेकर निकली तो मुझे अपनी क्लास का एक लड़का मिल गया.
मैं उसी के साथ हो ली.

काफी देर बात करने के बाद मैंने उसको अपना मोबाइल दिया- मेरी फोटो खींच दो.
तो उसने खूब सारी फोटो खींची.

मैंने फोटो देखी तो जानबूझ कर नाटक करती हुई बोली- इससे साफ नहीं आई, अपने मोबाइल से लो.
अब उसने अपने मोबाइल से भी मेरी फोटो ली.
उसके बाद मैंने उसको अपना नंबर दिया और बोली- इस नम्बर पर भेज देना.

फिर हम खाना खाने भी साथ गए.
उसने मुझे प्लेट दी.

हम दोनों खाने की भीड़ में गए तो उधर मेरी हील कालीन में फंस गयी, जिससे मैं गिरने लगी लेकिन उस लड़के ने मेरी कमर से साड़ी के अन्दर हाथ डाल कर मुझे सहारा दिया.

कुछ देर और एन्जॉय करने के बाद मैं उस लड़के को हग करके बाय बोल कर अकेली पति के पास गई और हम वहां से निकल आए.

अब जैसे हम बाहर निकले तो मैंने देखा वही लड़का, जिसने ऑटो में मेरे मज़े लिए थे, वो शॉर्ट्स और टी-शर्ट में खड़ा था.
उसको देख कर मैं भी खुश हुई.

तभी एक ऑटो आया. उस लड़के ने उसे रोका.
मैं जल्दी से उस ऑटो में चढ़ने लगी.

ऑटो भरी हुई थी तो मैंने पति से बोला- आप आगे बैठ जाओ, मैं पीछे बैठ जाती हूँ.

मैं और वो लड़का पीछे की तरफ गए, उसने गेट खोला और मुझे ऊपर चढ़ने में मदद करने के बहाने उसने मेरी गांड मसल दी.
मैं सीट पर बैठी और वो मेरे बगल बैठा.

फिर तुरन्त उसने मेरे कंधे से हाथ ले जाकर मेरी चूची दबानी शुरू कर दी.
मैं भी उसकी शॉर्ट्स में उसका खड़ा लौड़ा जो करीब 7 इंच का था, उसको पकड़ कर मसलने लगी.

इसी बीच मैंने उसका नंबर भी ले लिया.

हमारे घर के पास ऑटो रुकी तो मैं उसको एक किस देकर उतरी और उसने फिर से मेरी गांड मसली.
अब मैं घर आ गयी.

घर आकर उस लड़के से थोड़ी बहुत मैसेज से बात हुई.

फिर अगले दिन मैं तैयार होकर इंस्टीट्यूट पहुंची.
आज फिर मॉनिटर से थोड़ी रिक्वेस्ट करके अटेंडेंस लगवाई.

मेरी इस सेक्स कहानी में आपने शायद ये समझ लिया होगा कि मुझे कितने मर्द मिलने वाले हैं, जो मेरी चूत का भुर्ता बना देंगे.

उन सभी ने किस तरह से मुझे चोदा, उसका विवरण मैं अपनी देसी चूत सेक्स कहानी के अगले कुछ भागों में लिखूंगी.
आप मेरे साथ बने रहें और मुझे मेल जरूर करें.
[email protected]

देसी चूत सेक्स कहानी का अगला भाग:

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