Family Chudai Kahani – दीदी की ननद के साथ ट्रेन में चुदाई


फैमली चुदाई कहानी में पढ़ें कि दीदी की ननद मेरे साथ ट्रेन में आ रही थी. लंबा सफर था. हम दोनों केबिन में अकेले थे. पहल दीदी की ननद ने की और वो चुद गयी.

दोस्तो, आप सब कैसे हैं. उम्मीद है कि सबको चुदाई का मजा मिल रहा होगा.

जैसा कि मैंने अपनी सेक्स स्टोरी
दीदी के घर में दो चूत चोदी
में आपको बताया था कि मैं और शिवानी, एक ही ट्रेन से मुंबई जा रहे थे.

अब आगे फैमली चुदाई कहानी:

हम घर से निकले, उस समय दीदी ड्राइवर के साथ आगे बैठी थीं.
शिवानी ड्राइवर के पीछे दाईं ओर विंडो के पास, उसके बाजू में प्रेरणा और उसके साइड में मैं बैठा था.

कुछ समय बाद रास्ते में प्रेरणा और शिवानी ने गाड़ी रुकवाई और कुछ नमकीन आदि खरीदा.

फिर गाड़ी स्टेशन की ओर चल पड़ी.
कुछ समय बाद हम सब स्टेशन पहुंच गए.

मैंने अपना और शिवानी का सामान गाड़ी से उतारा और हम प्लेटफॉर्म नंबर दो की ओर चल पड़े.
हम प्लेटफॉर्म पर बैठ कर बातें कर रहे थे, तभी ट्रेन भी आ गई.

दीदी- चलो सामान उठाओ और जल्दी से ट्रेन में रखो.
प्रेरणा- सैम, पहले शिवानी का लगेज उसके केबिन में रख दो.
मैं- हां दीदी.

शिवानी- ओह, थैंक्स सैम.
प्रेरणा- अरे धन्यवाद की कोई जरूरत नहीं है. ये तो अपना ही है और अपनों को थोड़ी ना कोई थैंक्स बोलता है.

मैंने जल्दी जल्दी शिवानी का सब सामान उठा कर उसके फर्स्ट एसी कम्पार्टमेंट के दो बर्थ वाले केबिन में रख दिया.

फिर कुछ समय बाद अपना सामान लेकर अपने कम्पार्टमेंट में गया और अपनी सीट के नीचे अपना सामान रख कर दीदी के पास आ गया.

दीदी- खाना खा लेना और रात में सो जाना.
प्रेरणा- और हो सके तो शिवानी का थोड़ा ध्यान रखना.

ये बोल कर प्रेरणा भाभी हंसने लगीं.
दीदी भी उनकी ओर देख कर हंसने लगी.

फिर हम तीनों शिवानी के एसी वाले कम्पार्टमेंट में गए.
वहां एक ओर लेडी बैठी हुई थी और वो कुछ ढूँढ रही थी.

अचानक उसे याद आया कि वो अपना सर्टिफिकेट और दूसरे डॉक्युमेंट्स होटल में भूल गयी है.

उसने शिवानी से कहा- मुझे वापस जाना होगा. प्लीज़ ये टिकट तुम रख लो. टीटीई से बता देना.

दीदी और प्रेरणा भी उसकी हेल्प करने लगीं और उसका सामान ट्रेन से उतार दिया.

फिर जैसे ही वे लोग सामान लेकर नीचे उतरे कि ट्रेन चलना स्टार्ट हो गयी.
मैं भी जल्दी से ट्रेन में चढ़ गया.

मैं शिवानी के पास गया और मैंने उससे कहा कि मैं अपनी सीट पर जा रहा हूँ.
शिवानी- यहीं बैठ जाओ, वैसे भी ये लड़की अपनी टिकट मुझे देकर गयी है. इसका टिकट मुम्बई तक का है.

मैं- ठीक है, मैं अपना लगेज लेकर आता हूँ.
ये बोल कर मैं अपने कोच की ओर चला गया. मेरे कोच और शिवानी के कोच में चार कोच की दूरी थी.

मैं जब कोच में वापस आया तो केबिन अन्दर से लॉक था.
मेरे नॉक करने पर शिवानी ने कहा- बस दो मिनट रुको.

दो मिनट बाद शिवानी ने दरवाजा खोला और मैं अपना लगेज लेकर अन्दर प्रवेश कर गया.

जब मैंने बैग रख कर शिवानी की ओर देखा तो उसने एक येल्लो कलर की नाइटी पहनी हुई थी और उसमें से उसके 34 इंच की चूचियां एकदम साफ़ दिख रही थीं.
शिवानी ने जो नाइटी पहनी हुई थी, वो उसके घुटनों तक आ रही थी.

हम दोनों एक दूसरे से बातें कर रहे थे.
लेकिन मैं अपनी आंखों को रोक नहीं पा रहा था और बार बार उसके बूब्स और उसकी पैंटी की ओर देख रहा था.

शिवानी ने भी ये बात नोटिस कर ली थी.
मैंने कॉटन ट्रैक पैंट और टी-शर्ट पहनी हुई थी.

शिवानी- तुम कितने दिन बंगलोर में थे?
मैं- दस दिन.

शिवानी- मैंने तुम्हें नहीं देखा!
मैं- जिस दिन तुम और तुम्हारे हज़्बेंड बंगलोर पहुंचे, मैं मेरी बुआ के घर चला गया था.

शिवानी- ओह, वहां इतने दिन रुके?
मैं- हां बहुत सालों बाद बुआ के घर गया था तो बुआ ने रोक लिया था.

शिवानी- बुआ ने रोका था या किसी और ने?
मैं- नहीं बुआ ने ही रोका था.

शिवानी- कैसी चल रही है तुम्हारी कॉलेज की पढ़ाई?
मैं- अच्छी चल रही है.

शिवानी- कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं?
मैं- हां है एक, मेरी क्लास में ही पढ़ती है.

शिवानी- तुम उसके साथ सीरीयस हो, या केवल टाइम पास?
मैं- नहीं ऐसा तो कुछ नहीं है.

शिवानी- इसका मतलब क्या हुआ कि ऐसा तो कुछ नहीं?
मैं- मेरा मतलब है, टाइम पास जैसा तो कुछ नहीं है. पर वो कहती है कि पहले लाइफ में सेटल हो जाओ, फिर सब कुछ.

शिवानी- बाद में सब कुछ का मतलब? अभी तक उसके साथ कुछ किया या नहीं?
मैं- अब इसका क्या मतलब हुआ … कुछ किया या नहीं?
शिवानी- अरे सेक्स और क्या?

शिवानी के मुँह से सेक्स का शब्द सुन कर मैं थोड़ा सा हिल गया.

मैं- नहीं, अभी तक तो नहीं किया है!
शिवानी- मुझे मत सिखाओ कि तुमने अभी तक सेक्स नहीं किया.

मैं- मैं ऐसा कहां बोल रहा हूँ. मैंने अभी तक अपनी गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स नहीं किया. पर हां दूसरी गर्ल्स के साथ किया है.

बातें करते करते मैं बार बार शिवानी के बूब्स को देख रहा था.
शिवानी ने भी इस बात को नोटिस कर लिया था.

मैं- मुझे प्यास लगी है, जरा पानी दो ना!
शिवानी- पानी चाहिए या दूध?

मैं- दूध मिल जाए तो मज़ा आ जाए.
शिवानी- सब कुछ तुम्हारा है, किसने रोका है तुम्हें?

मैंने तुरंत उठ कर हमारे केबिन का डोर लॉक किया और शिवानी के होंठों पर अपने होंठों को रख दिया.

हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे.
शिवानी के होंठ बहुत पतले थे इसलिए बहुत मज़ा आ रहा था.

मैंने अपने एक हाथ से शिवानी की नाइटी की ज़िप खोल दी और नाइटी उसके पैरों में गिर गयी.
शिवानी ने भी मेरी टी-शर्ट निकाल कर सीट पर रख दिया.

अब हम दोनों ही टॉपलैस थे.
मैंने शिवानी के मम्मों को चूसना शुरू कर दिया.

शिवानी भी फुल गर्म हो चुकी थी और ज़ोर ज़ोर से सीत्कार कर रही थी.

मैंने बिना टाइम वेस्ट किए शिवानी की पैंटी भी उतार दी और उसकी चूत को देख कर आश्चर्य में पड़ गया था.

उसकी चूत बहुत ही छोटी थी और उस पर एक भी बाल नहीं था.

शिवानी ने भी मेरी ट्रैक में हाथ डाला ओर वो चौंक गई- आह तुम्हारा लंड तो बहुत बड़ा है. इतनी छोटी सी उम्र में इतना बड़ा लंड?
मैं- प्रेक्टिस कर करके ये यहां तक पहुंच गया है.

शिवानी ने मेरी ट्रैक पैंट नीचे उतारी और नीचे बैठ कर मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.
मुझे लग रहा था कि मैं स्वर्ग में पहुंच गया हूँ.

कुछ मिनटों बाद मैंने शिवानी के मुँह से अपना लंड बाहर निकाला और उससे खड़ा कर दिया.
उसे साइड की स्लीपर पर लिटा दिया.

शिवानी भी जल्दी से लेट गयी. उसने तुरंत लंड को अपने मुँह में ले लिया और मैंने उसकी चूत के होंठों को ओपन करके अपनी जीभ उसकी चूत पर लगा दी.
अब मैं उसे एक कुत्ते की तरह चाटने लगा.

मेरे चूत चाटते ही शिवानी ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगी.

कुछ समय बाद शिवानी की चूत ने पानी छोड़ दिया. कुछ पानी मेरे चेहरे पर था और कुछ सीट पर गिर गया.

पानी निकलते ही शिवानी ने अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दिया और मुझे लगा कि यही सही समय है जब अपना लंड उसकी चूत में डाल दिया जाना चाहिए.

मैंने तुरंत अपना लंड शिवानी के मुँह से निकाला और उसकी चूत के मुँह पर रख दिया.
लंड को अड्जस्ट करने के बाद मैंने अपने होंठ शिवानी के होंठों पर रख दिए और एक ज़ोरदार झटका दे मारा.

शिवानी एकदम से काँप गयी और मेरा लंड आधा से ज्यादा उसकी चूत में प्रवेश कर गया.
उसकी आंखों से पानी बहने लगा और वो अपने आपको छुड़ाने का प्रयास करने लगी.

कुछ समय शांत रहने के बाद मैंने अपने होंठ शिवानी के होंठ से हटा दिए.
वो थोड़ी शांत हो गई थी.

मैंने अपने आधे अन्दर घुसे लंड को थोड़ा सा हिलाना शुरू कर दिया और शिवानी भी मेरा साथ देने लगी.

कुछ समय आगे पीछे करने के बाद मैं अपने होंठ शिवानी के होंठों के पास ले गया और जैसे ही हम दोनों के होंठ एक दूसरे से मिले, मैंने एक और ज़ोरदार धक्का मार कर अपने लंड को पूरा शिवानी की चूत में उतार दिया.

शिवानी ने अपने पूरे दस के दस नाखून मेरी पीठ में गाड़ दिए और उसकी आंखों से एक बार फिर आंसू बहने लगे.

मैंने अपने लंड को उसकी चूत में वैसे ही पेले रखा और कुछ समय बाद जब शिवानी थोड़ी शांत हुई, तब मैंने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
शिवानी भी मेरा फुल साथ दे रही थी.

अचानक मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कुछ ही समय में मेरा पानी शिवानी की चूत में ही निकल गया.

जैसे ही मेरा पानी निकला, शिवानी ने अपनी कमर को ऊपर की ओर उठा दिया.
मैं तुरंत समझ गया कि वो क्या चाहती है.

मैंने भी अपनी कमर को ऊपर उठा दिया. कुछ समय बाद मैंने अपना लंड शिवानी की चूत से बाहर निकाला और उसे पास पड़े एक ट्रेन के तौलिया से क्लीन कर दिया.

शिवानी कुछ समय तक ऐसे ही लेटी रही. फिर मैंने उसके मम्मों को चूसना शुरू कर दिया.
वह बोली- मुझे वॉशरूम जाना है.
शिवानी ने अपना वन-पीस ड्रेस पहना और वॉशरूम की ओर चली गयी.

कुछ समय बाद वो वापस आई और दरवाजे को बंद करके सीट पर आई और मेरी गोद में बैठ कर उसने मुझे स्मूच करना चालू कर दिया.

हम दोनों एक दूसरे के होंठ चूसने में बिज़ी थे कि अचानक किसी ने डोर नॉक किया.
शिवानी ने जाकर दरवाजा खोला और मुझे कम्बल ओढ़ कर लेटा दिया.

मैंने आवाज़ सुनी, तो वो टीटीई था.
शिवानी ने उसे दोनों टिकट दिखा दिए और उससे कहा कि इन्हें थोड़ा सा फीवर है.
टीटीई ने शिवानी की बात पर विश्वास कर लिया और वहां से चला गया.

टीटीई के जाते ही शिवानी ने दरवाजे को बंद कर दिया.
मैंने कम्बल हटा कर शिवानी को अपनी बांहों में उठा लिया और उसके मम्मों को मसलने लगा.
शिवानी भी मेरी बांहों में खूब एंजाय कर रही थी.

फिर मैंने शिवानी को पूरी नंगी कर दिया और उसे केबिन के एक साइड में खड़ा करके उसकी एक टांग को बर्थ पर रख कर अपने लंड को शिवानी चूत में डाल दिया.
मैं उसे खड़े खड़े ही चोदने लगा.

कुछ समय में शिवानी के पैरों में दर्द होने लगा, तो मैंने शिवानी को अपनी गोद में उठाया और चोदने लगा.
उस समय मैं पूरे जोश में था और मेरा लंड फुल टाइट था.

दस मिनट तक चोदने के बाद मैंने शिवानी को बर्थ पर लिटा दिया और उसकी गांड के नीचे दो तकिए रख दिए.
मैंने उसे चोदना लगातार जारी रखा.

अगले पांच मिनट तक मैं शिवानी को चोदता रहा था, फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए.

हम दोनों अपनी अपनी बर्थ पर लेट गए और अपनी सांसों को काबू में करने लगे.
हमारी सांसें बहुत तेज़ चल रही थीं.

10 से 12 मिनट बाद हम दोनों की सांसें सामान्य हुईं और हमने अपने अपने गुप्त-अंगों को साफ किया और अपने अपने कपड़े पहन कर बैठ गए.
कुछ समय बाद हमारे केबिन के डोर पर किसी ने नॉक किया.

मैंने डोर ओपन किया तो एक 30 से 35 वर्ष की महिला हमारे दरवाजे के सामने खड़ी थी.

‘हाय मेरा नाम उपासना है. क्या आपके पास थर्मस है?’
मैं- जी नहीं.
शिवानी- नहीं है.

वो महिला हम दोनों को ऊपर से नीचे तक देख रही थी.
मैं समझ गया कि वो हमारे केबिन में क्यों आई थी.

शायद उसे हम दोनों की चुदाई की आवाजों से मस्त कर दिया होगा या जो भी हुआ हो, पर उसकी कामुक निगाहें मुझे, उसको चोदने के लिए गर्म करने लगी थीं.

वो चली गई और शिवानी ने दरवाजा बंद कर दिया.
हम लोग फिर से बातें करने लगे.

शिवानी- आज तक मेरे हज़्बेंड ने मुझे इस तरह नहीं चोदा.
मैं- हम हैं ना आपकी ज़रूरत पूरी करने के लिए. जब भी ज़रूरत हो एक दिन पहले घर पर फोन कर देना. हम हाज़िर हो जाएंगे.
शिवानी- ओके.

हम दोनों जस्ट बातें कर रहे थे. तभी डिनर का ऑर्डर लेने एक आदमी आया और ऑर्डर लेकर चला गया.

कुछ समय बाद उसने हमें डिनर की दो थालियां दीं और चला गया.

हम दोनों ने डिनर किया और सोने की लिए अपनी अपनी बर्थ पर आ गए.

शिवानी उस नाइटी में बहुत हॉट लग रही थी. मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ और मैं उसके पास आ गया.
वो सो रही थी. मैंने उसकी पैंटी पर किस कर दिया.

शिवानी- सैम प्लीज़ मुझे सोना है. अभी नहीं … कल सुबह.
मैं- शिवानी प्लीज़ एक बार और … फिर तुम सो जाना.
शिवानी- बोला ना मुझे सोना है.

तो मैंने भी सोचा कि मैं सो जाता हूँ.

सुबह नींद खुली तो मैंने शिवानी को किस करके जगाया और उसने मुझे अपने ऊपर गिरा लिया.
बस चुदाई का दौर चालू हो गया.

उसके बाद हमने चुदाई नहीं की.
यह फैमली चुदाई कहानी इतनी ही थी.

शाम को मुंबई स्टेशन पर उतरने के बाद मैं और शिवानी साथ साथ चल दिए.

स्टेशन से बाहर शिवानी के पति खड़े थे.
मैंने शिवानी का लगेज उनको दे दिया.

जैसे ही शिवानी ओर उसके पति गाड़ी लेकर गए, मैंने टैक्सी ली और अपने घर की ओर चल पड़ा.

दोस्तो, फिलहाल के लिए आपसे विदा चाहता हूँ.
फैमली चुदाई कहानी कहानी के लिए आपकी काफी संख्या में मेल मिली हैं और अभी भी मिल रही हैं. उसका धन्यवाद.
[email protected]

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *