Hot Desi Girl Ki Vasna – मेरी गर्म बहन का टांका भिड़ गया


हॉट देसी गर्ल की वासना का नजारा मैंने देखा एक शादी में! वो लड़की मेरी बुआ की बेटी थी. मुझे वो बहुत सेक्सी लगी थी तो मैं उस पर नजर रखे हुए थे. एक अंकल से उसका खेल चल रहा था.

नमस्कार दोस्तो, मैं कोमल मिश्रा अपनी नई सेक्स कहानी में आप सभी का दिल से स्वागत करती हूं.

आप लोग मेरी कहानियों को इतना पसंद करते हैं, उसकेलिए आप सभी पाठकों का शुक्रिया.
मेरी पिछली कहानी थी: गदराये बदन का मजा लेने की लालसा

मुझे बहुत सारे लोगों ने कहा है कि आप अपनी चुदाई की कोई नई सेक्स कहानी बताइए.
तो मैं उन सभी लोगों को बता देना चाहती हूँ कि मैं अपनी चुदाई की कई कहानी पहले भी पोस्ट कर चुकी हूं.

और अगर किसी नए मर्द के साथ मेरा रिश्ता बनता है, तो मैं आप लोगों के साथ वो कहानी जरूर साझा करूंगी. क्योंकि बनाई हुई कहानी भेजना मुझे पसंद नहीं है.
जो मजा सच्ची कहानियां पढ़ने में आता है, वो मजा बनाई गई कहानी में कभी नहीं आता.

आज की कहानी मुझे गुजरात के अमित जी ने भेजी है जिनकी उम्र केवल 19 साल है.

उनसे काफी दिनों से मेरी बात हो रही थी.
अमित जी ने अपनी हॉट देसी गर्ल की वासना की कहानी में बताया है कि उन्होंने अपनी फुफेरी बहन को किस प्रकार से चुदवाते हुए देखा.

उनकी जुबानी और मरी कलम से आप सेक्स कहानी का मजा लीजिए.

दोस्तो, मेरा नाम अमित पटेल है और मैं गुजरात का रहने वाला हूँ.
मैं अभी अपनी पढ़ाई कर रहा हूँ और अभी तक मैंने कभी भी चुदाई नहीं की है. लेकिन चुदाई करने का मेरा बहुत मन है.

मैंने चुदाई की जरूर नहीं है, लेकिन चुदाई के बारे में मैं सब कुछ जानता हूँ क्योंकि अपने स्मार्टफोन पर पोर्न देखने के साथ साथ मैं कई सालों से अन्तर्वासना पर प्रकाशित सेक्स कहानियां पढ़ता आ रहा हूँ.
यहीं पर मुझे कोमल मिश्रा जी से बात करने का मौका मिला और उन्होंने मुझे मेरी कहानी लिखने में मदद की.

अभी तक मैंने पोर्न फिल्मों के अलावा कभी किसी को चुदते हुए लाइव नहीं देखा था.

लेकिन उस समय मेरे साथ एक ऐसी घटना हुई जिसमें मैंने रियल चुदाई होती हुई देखी.
वास्तव में आज जो कहानी मैं आपको बताने जा रहा हूँ, उसे जानकर आप लोगों को भी काफी मजा आने वाला है.

मेरे साथ जो कुछ भी घटना हुई हर एक बात मैं आप लोगों के साथ साझा करूंगा.
यकीन मानिए दोस्तो पोर्न फिल्मों से कहीं ज्यादा मुझे उस चुदाई में मजा आया था.
आज भी उस चुदाई को याद करते हुए मैं अपना लंड हिलाने लगता हूँ.

उस वक्त मेरे परिवार में एक शादी थी, जिसके लिए हम सभी घर के लोग 4 दिन के लिए सूरत गए हुए थे.

शादी में हम लोग लड़की वालों की तरफ से थे.

वहां पर शादी किसी घर से न होकर एक होटल से हो रही थी और 4 दिनों के लिए पूरा होटल ही बुक करवाया गया था.

लड़की पक्ष और लड़का पक्ष दोनों के ही परिवार के लोगों का रहने खाने का इंतजाम उस होटल में किया गया था.

वो होटल काफी बड़ा था लेकिन उस हिसाब से मेहमानों की संख्या कम थी क्योंकि कोरोना काल में शादियों में एक निश्चित संख्या में ही लोगों को बुलाया गया था.
सभी मेहमानों को अपना एक अलग कमरा दिया गया था और मुझे भी अपना एक अलग कमरा मिला था.

अलग कमरा मिलने का मुझे ये फायदा था कि जब शादी के कार्यक्रम से बोर हो जाता, तो मैं अपने कमरे में आकर पोर्न फिल्म देखता, मुठ मारता और सो जाता.

पोर्न फिल्म देखने से मेरे दिमाग में इतने ज्यादा गंदे ख्याल आते थे कि किसी भी लड़की को देखकर उसके बारे में गंदी गंदी बातें ही सोचने लगता था चाहे वो लड़की मेरी कोई रिश्तेदार ही क्यों न हो.

दोस्तो, जिस दिन हम लोग वहां गए थे, उसी रात में सब लोग खाना खाने के लिए हाल में इकट्ठा हुए थे.
सब लोग खाने का आनन्द ले रहे थे.

मैं भी अपना खाना लेकर एक कुर्सी पर बैठे हुए खाना खा रहा था और सभी को देखता जा रहा था.
तभी मेरी नजर मेरे बुआ की लड़की के ऊपर गई.

उसके बारे में मैं आपको बता दूँ कि उसका नाम सविता है और वो 24 साल की है.
वो देखने में काफी अच्छी है और उसका वजन कम से कम 50 किलो रहा होगा.

उसका फिगर मेरे हिसाब से 36-34-38 का होगा और रंग गोरा है.
दिखने में भी सविता बिल्कुल एक नम्बर की माल है.

मैं खाना खाते हुए उसे ही देख रहा था और वो एक के बाद एक अलग अलग काउंटर पर जाकर खाना ले रही थी.
उस वक्त उसने एक जींस और टॉप पहना हुआ था.

जींस पहनने से उसका पिछवाड़े की बनावट बिल्कुल साफ साफ झलक रही थी और उसकी गांड की दरार में जींस की पैंट घुसी हुई थी. उसकी गांड के दोनों फलक दो बड़ी बड़ी गेंदों जैसे दिख रहे थे.

उसने ऊपर टॉप पहनी हुई थी जिसमें से उसके बड़े बड़े दूध हिलोरें मारते हुए उछल कूद कर रहे थे.

उसे देखकर भी मेरे मन में गंदा ख्याल आया और मैं सोचने लगा कि इसके इतने बड़े बड़े दूध हैं, क्या ये भी किसी से चुदवाती होगी. इसी लिए तो इसके दूध इतने बड़े हो गए हैं और इसकी गांड भी इतनी चौड़ी और बड़ी है. लगता है ये अपनी गांड भी मरवाती होगी.

ये सब मेरी सोच थी क्योंकि मैं सभी लड़कियों को देखकर ऐसा ही सोचता हूं.

अब मेरी नजर बार बार सविता की तरफ ही जा रही थी क्योंकि उस वक्त वहां पर देखने लायक और कोई लड़की नहीं थी.

कुछ देर तक उसे घूरने के बाद मैंने गौर किया कि सविता को केवल मैं ही नहीं घूर रहा था.
वहां पर एक अंकल खाना खा रहे थे, वो भी उसे बड़ी गंदी निगाह से घूर रहे थे.

वो अंकल कौन थे, वो मुझे पता नहीं. शायद लड़के पक्ष की तरफ के ही थे.

उन अंकल की उम्र करीब 50 साल रही होगी और अंकल की नजर बस सविता पर ही टिकी हुई थी.
वैसे भी सविता देखने लायक माल थी और उसने जिस तरह की जींस टॉप पहनी हुई थी, उसे देखकर उन अंकल का लंड जरूर टाइट हो गया होगा.

अब मैंने सविता को छोड़ कर अंकल की मादरचोद नजरों का पीछा करना शुरू कर दिया था. मैंने पाया कि जहां जहां सविता जाती, उन अंकल की निगाह वहीं वहीं जा रही थी.

मैं अंकल को देखकर बस एक ही बात सोच रहा था कि साले भोसड़ी वाले अंकल … जिसे तू देख रहा है, वो तुम्हारी बेटी जैसी है.
सविता के सामने उस अंकल का वजन कम से कम 80 किलो रहा होगा और वो अंकल सविता से दुगना मोटा था.

फिर कुछ देर के बाद मेरे मन में और गंदा ख्याल आया कि अगर ये अंकल सविता को चोदेगा, तो क्या सविता इसको झेल पाएगी!

बस यही सब सोचते हुए मैं उन दोनों को देख रहा था और खाना खाता जा रहा था.

कुछ देर बाद सविता एक कुर्सी पर जाकर बैठ गई.
मैंने देखा कि अंकल इस बात का फायदा उठाकर अपनी कुर्सी भी उसके पास ले गया.

कुछ देर बाद वो अंकल सविता से कुछ बात करने लगा और सविता भी उस अंकल से हंसती हुई बात करने लगी.

कुछ समय बाद सविता का खाना हो गया और वो उठकर अपनी प्लेट रखने चल पड़ी.
मेरी और उस अंकल की निगाह सविता पर ही थी.

जैसे ही सविता प्लेट रखने के लिए झुकी, उसके दो बड़े बड़े मम्मे सामने लटकने लगे.
उसके गोरे गोरे दूध देख मेरा लंड तो झटका मारने लगा.
कसम से बड़े मस्त दूध थे उसके … और उस ठरकी अंकल ने भी ये सब जरूर देखा होगा.

उसके बाद सविता वहां से जाकर दुल्हन के पास चली गई, जहां पर कुछ समय बाद शादी की एक रस्म होने वाली थी.

हम सभी लोग उस रस्म के लिए वहां पर गए और मैंने देखा कि वो अंकल भी वहां मौजूद था और उसका ध्यान केवल सविता पर ही था.
वो बार बार सविता को ही देखे जा रहा था. शादी के कार्यक्रम में उसकी कोई रुचि नहीं थी.

बीच बीच में सविता भी उसे देखती और हल्की सी मुस्कान दे देती.
उन दोनों का यही खेल बस मैं देख रहा था.

रस्म पूरी होने के बाद सभी लोग अपने अपने कमरे में चले गए और मैं भी अपने कमरे में चला गया.
उस रात भी मैंने मुठ मारी और सो गया.

अगले दिन सुबह जब हम सब लोग नाश्ते के लिए गए तो फिर से सविता और उस अंकल के बीच नैन मटक्का चल ही रहा था.
यही काम दोपहर को खाने के दौरान भी हुआ लेकिन उस वक्त एक खास बात ये हुई थी कि दोनों एक दूसरे के सामने बैठ कर खाना खा रहे थे और बातें कर रहे थे.

मुझे कुछ शक हुआ और मैंने सोचा कही इस अंकल ने सविता को पटा तो नहीं लिया.

फिर मैंने सोचा कि ऐसा तो हो ही नहीं सकता.
ये अंकल इतना बड़ा है और कहां सविता इतनी कम उम्र की है. ये कभी नहीं हो सकता, ये सब मेरा वहम है.

फिर दिन भर मैं बाहर जाकर सूरत शहर घूमता रहा और शाम को 7 बजे होटल वापस लौट आया.
होटल आकर मैं अपने कमरे में गया और फ्रेश होकर आराम करने लगा.

रात करीब 10 बजे मैं खाना खाने के लिए हॉल में गया.
उस वक्त तक ज्यादातर लोग खाना खाकर जा चुके थे और सविता का भी कोई पता नहीं था.

वो अंकल भी कहीं दिखाई नहीं दे रहा था.

खाने के बाद मैं शादी की रस्म देखने लगा. मैं काफी देर से सविता का इंतजार कर रहा था लेकिन सविता का कहीं कोई पता नहीं था … और न उस अंकल का कोई पता था.

रात के करीब साढ़े बारह बजे तक मैं कार्यक्रम में था लेकिन उन दोनों का कहीं कोई पता नहीं था.

मेरे मन में तरह तरह के ख्याल आ रहे थे और जब मुझसे रहा नहीं गया, तो मैं उत्सुकतावश अपनी बुआ के पास गया.
मैंने बुआ से पूछा कि बुआ सविता कहां गई, कहीं दिखाई नहीं दे रही है?

बुआ ने बताया कि उसके सर में दर्द हो रहा था, इसलिए वो अपने कमरे में जाकर सो गई है.

अब मैं भी अपने कमरे की तरफ चल दिया.
जब मैं अपने कमरे में जा रहा था, तो रास्ते में 318 नम्बर का कमरा आया जो कि सविता का था.

मैंने सोचा कि क्यों न पता किया जाए कि सविता की तबीयत कैसी है.
मैंने दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई जवाब नहीं आया.

कुछ देर तक मैं वहीं रुका रहा लेकिन दरवाजा नहीं खुला.

मैंने सोचा कि शायद सविता सो चुकी है और मैं वहां से जाने लगा.
फिर पता नहीं मेरे मन में क्या ख्याल आया कि मैंने चाभी वाले छेद से देखने का सोचा.

मैंने उस छेद से अन्दर देखा तो सविता का पलंग सामने ही था लेकिन सविता उस पर नहीं थी.
एक ही पल में मेरे दिमाग में हजारों बातें घूम गईं.

सविता यहां नहीं है, तो कहां है. वो तो बाहर कार्यक्रम में भी नहीं है. क्या वो किसी दूसरी लड़की के साथ सो रही है. या फिर सविता उस अंकल से चुदवा तो नहीं रही है.
मेरे गंदे दिमाग में गंदी बातें आने लगीं.

मुझे उस अंकल का कमरा पता नहीं था, नहीं तो मैं जरूर जाकर देखता.

किसी तरह से मैंने अपने मन को शांत किया और अपने कमरे में चला गया.
कई घंटे तक मैं यही सोच विचार करता रहा कि आखिर में सविता गई कहां है?

फिर मुझे भी नींद आ गई और मैं सो गया.

सुबह जल्दी ही मेरी नींद खुल गई और मैं फ्रेश होकर बाहर जाने लगा.
उस समय सुबह के 5 बज रहे थे और सभी लोग अपने कमरों में सो रहे थे.

मैं आराम से टहलता हुआ सभी कमरों के सामने से गुजर रहा था और जब मैं फिर से सविता के कमरे के सामने गया, तो चाभी वाले छेद से झांकने लगा.
उस वक्त भी सविता कमरे में नहीं थी.

मैं फिर से टहलता हुआ जाने लगा और सोचा शायद आज सविता किसी और लड़की के साथ में सो रही है.

मैं सीढ़ियों से नीचे उतरा और होटल के पहले माले पर पहुंच गया.
पहले माले पर लड़के पक्ष के लोगों को ठहराया गया था और दूसरे माले पर लड़की पक्ष के लोगों के ठहरने की व्यवस्था की गई थी.

मैं आराम से टहलता हुआ चला जा रहा था कि तभी मुझे किसी दरवाजे की खुलने की आवाज आई.
मैं पलट कर देखने लगा और मैंने देखा कि एक कमरे से सविता बाहर निकली और दौड़कर ऊपर के माले की तरफ चली गई, जहां उसका कमरा था.

मैं भी वापस लौटा और उस कमरे के पास रुक गया, जिस कमरे से सविता निकली थी.
उस कमरे का नम्बर 348 था.

मैंने सोचा ये सब कमरे तो लड़के पक्ष के लिए बुक है, फिर सविता यहां क्या कर रही थी. वो तो लड़की पक्ष की है.
मैंने आसपास देखा और जब वहां कोई नजर नहीं आया तो मैंने उसके चाभी के छेद से अन्दर देखा.

जैसे ही मैंने अन्दर देखा मेरे होश उड़ गए और मेरे रोम तक खड़े हो गए.
अन्दर बिस्तर पर वही अंकल केवल चड्डी पहने हुए लेटा हुआ था.

मैं सब कुछ समझ गया कि रात में सविता इस अंकल से चुदवा रही थी और सुबह होते ही उठकर अपने कमरे में चली गई.

मैं चुपचाप अपने कमरे में वापस लौट आया और उन दोनों के बारे में सोचने लगा.
कैसे सविता इतने बड़े आदमी से चुदवा सकती है?

उस वक्त मेरी दिल की धड़कन पता नहीं क्यों … काफी जोर जोर से चल रही थी.
काफी देर मैं बस यही बात सोचता रहा.

फिर मैंने सोचा कि क्या मैं ये बात अपनी बुआ से बताऊं … लेकिन मेरी बात पर कौन यकीन करेगा.
फालतू में मैं ही फंस जाऊंगा.

फिर मेरे मन में एक बात आई कि क्यों न इन दोनों पर नजर रखी जाए और अगर ये दोनों फिर से चुदाई करते हैं, तो इनकी चुदाई देखी जाए.
मैं फिर कमरे से बाहर निकला और होटल के बाहर आकर देखने लगा कि किस तरह से मैं उसके कमरे में देख सकता हूँ.

पहले तो मुझे कोई भी ऐसी जगह नहीं मिली, जहां से मैं कमरा नम्बर 348 के अन्दर देख सकता था.
बस कमरे के अन्दर देखने का एक ही रास्ता था चाभी का छेद. लेकिन जब मैं होटल के पीछे की तरफ गया तो मेरी नजर पीछे की खिड़की पर गई.

मैंने चारों तरफ अच्छे से देखा. चारों तरफ पेड़ ही पेड़ थे और किसी का भी आना जाना नहीं था.
मैं खिड़की के पास चला गया. खिड़की के पास जाकर मैंने देखा तो खिड़की पूरी तरह से पैक थी, लेकिन उसका एक कुंदा टूटा हुआ था, जिसमे एक छेद था.

मैंने उस छेद से अन्दर झांककर देखा, तो अन्दर का पूरा रूम और बिस्तर मुझे साफ साफ नजर आ रहा था.
बस मुझे और क्या चाहिए था, मेरे लिए इतना ही काफी था.

मैं चुपचाप वहां से वापस आ गया और शादी में सभी लोगों के साथ व्यस्त हो गया.

उस दिन बारात का दिन था और उस दिन ही मुख्य शादी होनी थी.
मैं किसी तरह से शाम होने का इंतजार करने लगा.

बीच बीच में मुझे सविता और उस अंकल की आंख मिचौली भी देखने को मिल रही थी.
जिस प्रकार से वो दोनों एक दूसरे को देख रहे थे और मुस्कुरा रहे थे, उससे साफ पता चल रहा था कि इन दोनों के बीच कुछ न कुछ है.

इसी बीच मैंने उस अंकल के बारे में पता किया, तो मुझे पता चला कि वो अंकल लड़के वालों की तरफ से ही था और दूल्हे का करीब का रिश्तेदार था.

फिर किसी तरह से शाम हुई और सभी लोग शादी के लिए तैयार होने लगे.
मैंने भी अपनी शेरवानी निकाली और तैयार होकर शादी में पहुंच गया.

जहां पर शादी होनी थी, वो काफी बड़ा सा हॉल था.
मैं अपनी एक कुर्सी लेकर बैठ गया और चारों तरफ का जायजा लेने लगा.
कुछ देर बाद मुझे वो अंकल नजर आए, लेकिन सविता का कहीं पता नहीं था.

सभी लोग दुल्हन के आने का इंतजार कर रहे थे और रात के साढ़े आठ बज चुके थे.

कुछ ही देर में दुल्हन को लेकर कुछ लड़कियां वहां पर आईं.
उन लड़कियों में सविता भी शामिल थी.

मेरी नजर तो दुल्हन की तरफ बिल्कुल भी नहीं गई, मैं बस सविता को ही देखे जा रहा था क्योंकि उस समय सविता इतनी ज्यादा सेक्सी लग रही थी कि पूछो ही मत.

सविताने उस समय एक फ्रॉक तरह की ड्रेस पहनी हुई थी जो कि उसके घुटनों तक ही थी और उस ड्रेस में बांह भी नहीं थी, जिससे उसकी नंगी बांहें बड़ी कातिल लग रही थीं.

इसके अलावा जब थोड़ी बहुत हवा पाकर उसकी फ्रॉक नीचे से थोड़ी भी उड़ जाती थी, तो उसकी जांघें तक नजर आ जाती थीं.

उस समय पूरे शादी में ज्यादातर मर्दों की नजरें सविता पर ही टिकी हुई थीं.
मैंने उस अंकल को देखा, वो भी टकटकी लगाए सविता को ही घूरे जा रहा था.

सविता भले ही रिश्ते में मेरी बहन है, लेकिन मेरे मन में उस वक्त उसके प्रति बेहद ही गंदे ख्याल आ रहे थे.
अगर मुझे मौका मिल जाता तो मैं उसे चोदने से भी पीछे नहीं हटता.

जल्द ही वरमाला का कार्यक्रम सम्पन्न हो गया और सभी लोग जल्द ही खाना खाने के बाद अपने अपने कमरों में चले गए और घर के लोग शादी के आगे के कार्यक्रम के लिए बिजी हो गए क्योंकि शादी का कार्यक्रम रात भर चलने वाला था.

तब तक मैं भी पूरी तरह से फुर्सत हो गया था और अब मेरी नजर सविता और उस अंकल की तरफ थी.
सविता तो दुल्हन के साथ बिजी थी और वो अंकल कुर्सी में बैठा हुआ था.

मेरी नजर केवल उन दोनों की हरकतों पर टिकी हुई थी.

कुछ देर बाद उस अंकल ने कहीं फोन लगाया और मैंने देखा कि उसी समय सविता के फोन में भी रिंग बजी.
मैं समझ गया कि ये दोनों ही आपस में बात कर रहे हैं.

कुछ देर बात करने के बाद वो अंकल वहां से चल दिया.
उसके जाते ही मैं भी उसके पीछे चल पड़ा और वो अंकल अपने कमरे के अन्दर चला गया.

मैं भी अपने कमरे में गया और जल्दी से अपने कपड़े बदलकर लोवर टी-शर्ट पहनकर वापस बाहर लौट आया.
मैं ऐसी जगह पर खड़ा हो गया, जहां से मुझे शादी का हॉल साफ साफ दिख रहा था और सविता भी मुझे दिख रही थी.

करीब आधे घंटे के बाद सविता हॉल से बाहर निकली और अपने कमरे की तरफ चल दी.
वो अपने कमरे में गई और दरवाजा बंद कर ली.

उस वक्त रात के साढ़े बारह बज रहे थे. ज्यादातर लोग अपने अपने कमरों में जाकर सो चुके थे और परिवार के लोग ही मात्र शादी के लिए बाहर थे.
इस मौके का फायदा उठाकर मैं होटल से बाहर निकला और छुपते हुए होटल के पीछे की तरफ चला गया.

होटल के पीछे जाकर मैंने देखा कि वहां पर बिल्कुल ही अंधेरा था और मुझे मेरी ही परछाई तक नहीं दिख रही थी.
वो नजारा देख मेरी तो गांड फट रही थी लेकिन मेरे अन्दर चुदाई देखने का कीड़ा चल रहा था.

किसी तरह से हिम्मत जुटाते हुए मैं कमरा नम्बर 348 की खिड़की के पास पहुंच गया.
वहां पहुंचते ही मुझे खिड़की पर वो छेद नजर आ गया क्योंकि उस छेद से अन्दर कमरे की रोशनी आ रही थी.

मैं आहिस्ते से अन्दर देखा और अन्दर वो अंकल बिस्तर पर लोवर और बनियान पहने लेटा हुआ था और किसी से फोन पर बात कर रहा था.
मुझे उसकी आवाज सुनाई दे रही थी और वो किसी लड़की से ही बात कर रहा था.

मैं समझ गया कि ये सविता से ही बात कर रहा है क्योंकि वो बोल रहा था ‘और कितना वक़्त लगेगा यार. तुम आज तो बहुत सुंदर लग रही थी, जब तुम आना तो वही कपड़े पहनकर आना.’

मैं बड़ी ही सावधानी बरतते हुए खिड़की के छेद से सब देख और सुन रहा था.
खिड़की के बाहर तरफ थोड़ी सी जगह थी, जिसमें मैं चिपककर बैठ गया.

मैं बस अब ये इंतजार कर रहा था कि कब सविता कमरे में आये और मुझे कुछ देखने को मिले.

दोस्तो, कहानी कुछ लम्बी होने के कारण आप कहानी तीन भाग में पढ़ पायेंगे.
आगे आप पढ़ेंगे कि किस प्रकार से मैंने सविता और उस अंकल की चुदाई देखी औऱ उस अंकल ने रात भर सविता को किस तरह से चोदा.
मेरी बहन की चुदाई की कहानी का मजा लें.

आपको मेरी यह हॉट देसी गर्ल की वासना की कहानी कैसी लगी?
मुझे आपके मेल का इन्तजार रहेगा.
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हॉट देसी गर्ल की वासना की कहानी का अगला भाग:

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