मैंने पार्क सेक्स का मजा लिया अपने भाई के दोस्त के साथ. मैं उसे एक बंद पड़े पार्क में लाई और मैंने अपनी हुडी उतारकर उसके साथ छेड़खानी करके भागने लगी.
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फ्रेंड्स, मैं पूनम पांडेय एक बार फिर से आप सभी का अपनी चुदाई कहानी में स्वागत करती हूँ.
कहानी के पिछले भाग
पड़ोसी भैया से गांड भी मरवा ली मैंने
में अब तक आपने पढ़ा था कि मैं रोहण के साथ एक बंद पड़े पार्क में आ गई थी और उसके साथ मस्ती करने लगी थी.
मैंने अपनी हुडी उतार दी थी और उसके साथ छेड़खानी करके भागने लगी थी.
अब आगे पार्क सेक्स का मजा:
इसी बीच एक बार रोहण ने मुझे पकड़ कर नीचे घास पर लिटा दिया और अपना मुँह एकदम मेरे मुँह के पास ले आया.
वो बोला- अब बोलो दीदी, अब भाग कर दिखाओ.
मेरा भी सब्र खत्म हो चुका था और मैंने उसके सिर को पकड़ कर अपने होंठों से लगा दिया.
हम दोनों पागलों की तरह एक दूसरे के होंठों का रस पीने लगे.
रोहण आगे बढ़ते हुए मेरे गाल, गले को चूमते हुए मेरे मम्मों को दबाने लगा.
कुछ देर की चूमाचाटी के बाद मैं खुद उठ खड़ी हुई और उसके बिठा कर उसकी गोद में बैठ गयी.
मैंने अपनी ऊपर की ड्रेस निकाल दी और ऊपर से नंगी हो गयी.
मेरे मम्मे देखते ही रोहण से रहा न गया और वो मेरे बड़े बड़े मम्मों पर टूट पड़ा.
मेरे दोनों खरबूजों से काफी देर मस्ती के बाद वो मेरी आँखों में वासना से देखने लगा.
मैंने भी उस कामुकता से देखा और उसकी पैंट उतार दी.
मेरे सामने उसका 6 इंच का लंड फनफना रहा था.
मैंने गप से उसके लंड को मुँह में ले लिया और खूब चूसा.
लंड चुसाई में वो एक बार पहले मेरे मुँह में ही झड़ गया.
फिर उसने मुझे पूरी नंगी कर दिया और मेरे पूरे बदन को चूमा-चाटा, मेरी चूत को भी चाटा.
इसके बाद मैंने 69 की पोजीशन ले ली और हम दोनों लंड चूत चुसाई का मजा लेने लगे.
कुछ देर के बाद उसका लंड खड़ा हो गया.
मैंने चुदाई की पोजीशन में खुद को किया. उसको सीधा लेटा रहने देती हुई मैं उसके लंड के ऊपर अपनी चूत रख कर बैठ गयी.
उसका लंड चूत में सरसराता हुआ घुस गया और एक मीठी आह के साथ मेरी गांड ऊपर नीचे होने लगी.
मेरी कम चुदी चूत में रोहण से अपना डंडा आगे पीछे करना शुरू किया तो मुझे मजा आने लगा.
मेरे मुँह से कामुक सुर निकलने लगे- आंह चोदो रोहण अपनी दोस्त की बहन की चूत फाड़ दे आज … आह और चोदो.
मेरी मादक आवाजों से उसकी उत्तेजना बढ़ती गई और करीब आधा घंटा तक मैंने उसके लंड से अपनी चूत चुदवाई.
फिर झड़ने के बाद मैंने टाइम देखा तो अभी साढ़े 8 बजे थे.
अभी मेरे पास टाइम था तो मैंने एक बार फिर से रोहण का लौड़ा चूस कर उसका मूड बना दिया.
दूसरी बार की चुदाई में मैं उसके लौड़े से अपनी गांड की प्यास बुझाई और साढ़े नौ बजे हम दोनों पार्क सेक्स के बाद वहां से वापस आ गए.
रोहण मुझे मेरे घर छोड़ते हुए अपने घर चला गया.
अब अगला दिन सुबह से सामान्य ही बीत रहा था कि मेरी चूत में चुनचुनी होने लगी.
मैं एक मस्त सी ब्लूफिल्म देखने लगी.
लगभग साढ़े दस बजे पापा की कॉल आयी.
उन्होंने मुझे एक फ़ाइल के बारे में बताया और उसके रखे होने की जगह बताते हुए बोले- अभी राजेश अंकल घर आएंगे, उनको वो फ़ाइल दे देना. वो मुझे दे देंगे.
पापा से बात हो जाने के बाद मेरे दिमाग में फिर से एक खुराफाती आईडिया आ गया.
मैंने जल्दी से नहाया और एक छोटी नाईट लाल रंग फ्रॉकनुमा बेबीडॉल पहन ली; उस बेबीडॉल के अन्दर मैंने कुछ नहीं पहना.
इस ड्रेस के छोटी होने के कारण मेरी गांड की लकीर साफ दिख रही थी और आगे से भी काफी मामला खुला था.
अब मैंने पापा की वो फ़ाइल काफी कागज़ों के नीचे दबा दी और अंकल का इंतज़ार करने लगी.
राजेश अंकल मेरे पापा के दोस्तों में से एक थे और बड़े रंगीन मिजाज़ के थे.
अंकल बचपन से मुझे भी जानते थे.
बीस मिनट बाद जैसे ही अंकल ने दरवाज़े पर दस्तक दी, मैं तुरंत खोलने पहुंच गयी.
सामने अंकल थे.
उन्होंने मुझे एक बार को तो ऊपर से नीचे तक देखा और देखते ही रह गए.
मैंने भी आगे बढ़कर उनके सामने झुक कर उनको नमस्ते की. झुकने के कारण मेरी पहाड़ की चोटियों जैसी चूचियां उनके सामने उमड़ पड़ीं.
मेरे मम्मों को देख कर उनके लंड में मानो जान सी आ गयी.
अंकल से रहा नहीं गया और उन्होंने मेरे दोनों नंगे कंधों से मुझे पकड़ कर अपनी छाती से लगा लिया.
मेरी चूचियां राजेश अंकल के सीने में एकदम घुस सी गईं.
उन्होंने भी मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर चूम लिया और मैं उनके लंड को महसूस करने लगी.
इसके बाद मैंने उनको अन्दर बुलाया और बैठने को बोला.
अंकल बोले- बेटा, अब मुझे बैठाओ मत … लाओ जल्दी से वो फ़ाइल मुझे दे दो.
मैंने बोला- अंकल वो फाइल मुझे मिल नहीं रही है. आप भी देखो न कि कहां रखी है.
अंकल बोले- हां ठीक है, चलो मिल कर देखते हैं.
अब हम दोनों उस कमरे में आकर वो फ़ाइल ढूँढने लगे.
जब मैं दूसरी तरफ जाकर झुक कर फ़ाइल देख रही थी तो मेरे झुकने से मेरी पूरी मोटी गांड खुल गयी थी और अन्दर से बिना पैंटी के होने से मेरी गांड एकदम नंगी हो रखी थी.
अंकल चुपके चुपके से मेरी गांड देख रहे थे.
इस बात को मैंने भी शीशे में देखा.
मुझे अन्दर से गुदगुदी होने लगी.
फिर मैं आगे से भी उनके सामने झुक झुक कर फ़ाइल ढूँढने का ड्रामा करने लगी.
इस चक्कर में मेरी चूचियों की अच्छी खासी घाटी भी उन्होंने जी भर कर देखी.
इसी बीच उन्होंने वो फ़ाइल मिल गयी, जिसको मैंने काफी नीचे छुपा दिया था.
फाइल मिल जाने के बाद अंकल ने कहा- चलो, मुझे फाइल मिल गयी. अब मैं निकलता हूँ.
अब तक अंकल का लौड़ा पूरी तरह से खड़ा हो चुका था, जिसको वो उसी फ़ाइल से छिपा रहे थे.
अब मैंने भी बोल दिया कि अरे अंकल चाय तो पीते जाइए वरना पापा बाद में मुझे गुस्सा करते हैं.
अंकल बोले- चल ठीक है, ले आओ चाय.
मैं किचन में चाय बनाने के लिए गयी तो अंकल मेरे पीछे पीछे किचन में आ गए और एकदम मेरे पीछे खड़े होकर मुझसे बात करने लगे.
मैं भी उनकी बातों में उनका साथ देने लगी.
हमारे बीच बातें कुछ यूं हो रही थीं.
राजेश अंकल- बेटा, अब तो तुम बड़ी हो गयी हो, पूरा घर अकेले संभाल लेती हो?
मैं- क्या मतलब अंकल?
राजेश अंकल- मतलब अब तुम्हारी उम्र शादी करने के काबिल हो गयी है.
मैं- नहीं, अंकल अभी कहां!
राजेश अंकल थोड़ा मुझसे चिपके, जिससे उनका खड़ा लंड मेरी गांड को छूने लगा.
फिर वो बोले- अरे अब तो तुम इतनी स्मार्ट हो गई हो और …
मैंने लंड पर आपनी गांड घिसते हुए धीरे से पूछा- और क्या?
अंकल मेरे कान के पास आकर धीमे से बोले- और सेक्सी भी हो गयी हो.
मैंने थोड़ा शर्माते हुए सिर झुका लिया.
राजेश अंकल ने अपना हाथ मेरे कंधे पर रखा और बोले- मेरा लड़का भी तुम्हारी उम्र का हो गया है और वो जॉब भी करता है, तो क्यों न तुम उसी से शादी कर लो. उससे मुझे देखने के लिए भी तुम्हारी जितनी सुंदर बहू मिलेगी, जो मेरा भी ख्याल रखेगी.
बस इतना बोलते हुए अंकल मुझसे एकदम से सट गए और उन्होंने अपने हाथों को मेरे पेट से ले जाते हुए मुझे जकड़ सा लिया.
राजेश अंकल की इस हरकत से मेरे मुँह से भी एक कामुक आह निकल गयी.
अंकल ने पूछा- क्या हुआ?
मैंने बोला- कुछ नहीं अंकल. आपका यूं पकड़ना मुझे अच्छा लगा.
ये सुनकर उन्होंने आगे बढ़ कर मेरे एक गाल को चूम लिया और वो बाहर आ गए.
कुछ देर बाद मैं भी चाय लेकर बाहर आई तो अंकल ने मुझे खींच कर अपनी गोद में बिठा लिया.
वो मुझसे मेरी पढ़ाई और बाकी चीज़ों के बारे में पूछने लगे और मेरी चूचियों को ताड़ते रहे.
मैंने भी उनके सीने से अपने मम्मे टिका दिए थे ताकि अंकल को मेरी चूचियां बखूबी दिखती रहें.
तभी अंकल ने अपना एक हाथ मेरी नंगी जांघ पर रख दिया.
एक हाथ से वो चाय पीते रहे.
चाय पीने के बाद अंकल ने मुझसे मेरा फोन नंबर ले लिया.
इसके बाद वो मुझे गले मिल कर और एक किस करके चले गए.
आज शाम को रोहण कोचिंग के बाद मेरे घर आया और सीधे मेरे कमरे में आ गया.
मैं सुबह से चुदासी थी.
मेरे कमरे में आने के बाद उसने मुझे 7 बजे तक मेरे कमरे में ही मुझे चोदा और चला गया.
आज का दिन मस्त गया था.
अब अगले दिन के लिए मुझे लंड की तलाश थी.
लेकिन सुबह से कुछ खास नहीं हुआ.
उस दिन दोपहर में मम्मी के पास एक रिश्तेदार का फ़ोन आया, जिसमें उन्होंने बताया कि उनकी लड़की की कल शादी है और उन्होंने कार्ड भेजा था लेकिन गलत पते की वजह से वो उनके पास वापस आ गया.
पापा का नंबर भी उनके पास नहीं था लेकिन किसी तरह उनको मेरी मम्मी का नंबर मिला तो उन्होंने मम्मी को फोन करके बहुत जिद करते हुए कल शाम की शादी में आने के लिए कहा.
उनके फोन के बाद मेरी मम्मी ने ये सारी बात पापा को बताई तो उन्होंने कहा कि लड़की की शादी है तो जाना भी ज़रूरी है. मैं कल के लिए एक कार बुक कर लेता हूं, तुम चली जाओ. बस ये बता दो कि तुम्हारी वापसी तीन दिन बाद की ही होगी, या और ज्यादा समय लग सकता है. उसी अनुसार मैं टैक्सी बुक करूं.
मम्मी ने तीन दिन की कह कर हां कह दी.
अब घर में किसी एक का रुकना जरूरी था तो मम्मी ने मुझे रुकने को बोला और वो तीनों मतलब पापा मम्मी और मेरा छोटा भाई, जाने की तैयारी करने लगे.
अगले दिन सुबह दस बजे वो सब चले गए.
मेरा घर अगले तीन दिनों के लिए खाली हो गया था और चूत गांड लंड लेने के लिए गर्मा गई थी.
सबके जाते ही मैंने सबसे पहले समीर भैया को कॉल किया तो मालूम चला कि वो भी शहर से बाहर गए हैं.
अब मैं सोच रही थी कि इन तीन दिनों में मेरी कुछ ज़बरदस्त चुदाई हो जाती, तो मज़ा आ जाता.
करीब 11 बजे मैं नहा कर सिर्फ एक टॉवल बांध कर ऊपर कपड़े सुखाने गयी तो देखा कि मेरे घर के तरफ दो चन्दा मांगने वाले बाबा थे.
मैंने ध्यान से देखा तो वो लग तो रहे थे बाबा, लेकिन थे एकदम ठीक ठाक!
वो मुझे देख कर आवाज देने लगे.
मैंने आने का इशारा किया और जल्दी से नीचे उतर कर आ गयी.
जैसे ही उसमें से एक बाबा ने गेट बजाया, तो मैं उसी टॉवल में गेट खोलने चली गयी.
उन दोनों बाबाओं ने मुझे बहुत घूर कर और ललचाई हुई नज़रों से मेरे बड़े बड़े मम्मों को खूब बढ़िया से देखा.
इसके बाद मैं उन दोनों को अन्दर ले आई और उनको सोफे पर बैठने का बोल कर उनके लिए चाय और नाश्ता बना कर लेकर आई.
वो दोनों बड़े चाव से नाश्ता खाते हुए बोले- कन्या तुम बहुत सुशील हो … तुम अपने जीवन में सदैव खुश रहोगी, कभी किसी चीज़ की तुमको कोई कमी नहीं होगी.
मेरे दिमाग में खुराफात सूझी, तो मैंने उन दोनों बाबाओं से कहा- बाबा जी मेरा हाथ देख कर बताइए न कि मेरी शादी कब तक होगी?
इस पर दोनों बाबाओं ने एक दूसरे को देखते हुए कुछ इशारा किया.
जिसके बाद एक बाबा ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे अपनी तरफ खींच लिया और दोनों के बीच में बिठा लिया.
फिर वो बाबा मेरा हाथ अपने हाथ में लेकर सहलाते हुए बोला- कन्या, तुम्हारी त्वचा कितनी कोमल है और तुम्हारा हाथ भी बड़ा नर्म है.
मेरा हाथ मसलते हुए बाबा ने मेरे हाथों को चूमा और मेरे उसी हाथ को मसलते हुए मेरी रेखाओं को देखने लगा.
वो कुछ अजीब सा मुँह बनाने लगा, जिससे मैंने भी चिंता जताते हुए बाबा से पूछा- क्या हुआ बाबा … मेरी रेखा क्या बता रही है?
दोस्तो, उन दोनों हट्टे-कट्टे बाबाओं को देख कर मेरी चूत फड़कने लगी थी.
वो दोनों बाबा मुझे चूतिया समझ रहे थे और इधर मैं उन्हें अपनी चूत गांड का आसामी समझ रही थी.
मैं पार्क सेक्स कहानी के अगले भाग में बताऊंगी कि किस तरह से मैंने उन दोनों बाबाओं से अपनी चूत गांड का बाजा बजवाया.
आपको मेरी सेक्स कहानी कैसी लग रही है, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताएं.
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पार्क सेक्स कहानी का अगला भाग: चढ़ती जवानी में सेक्स की चाह- 5