इस तरह चुदवाना अच्छा लगता – 3

फिर मेने आगे से उसकी पॅंटी को खींचते हुए नीचे तक उतार दिया जहाँ से वो आसानी से अपनी टाँगो से निकल सकती थी. नताशा ने अपनी टाँगो से पॅंटी उतार दी और में खड़ा हो गया. “अब मेरी बारी है,” कहकर नताशा घुटनो के बल मेरी टाँगो के बीच बैठ गयी. अपने नाज़ुक हाथों से उसने मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी.

फिर उसने मेरे लंड के सूपदे को अपनी जीभ से चुलबुलाने लगी. मेरे लंड को सीधा कर वो अपनी ज़ुबान मेरे सूपदे से चाटते हुए नीचे की ओर होती फिर उप्पर करते हुए लंड को चाट रही थी. फिर उसने अपना मुँह खोला और लंड को चूसने लगी. साथ ही वो मेरे लंड के पास बालों में उंगली घुमा रही थी. एक अजीब सी सनसनी उठ रही थी मेरे शरीर मे. “जानू अगर तुम इसी तरह चूस्ति रही तो में अपने आप को नही रोक पाउन्गा.” मेने कहा. “और में चाहती भी नही कि तुम रुक.” इतना कह कर वो और जोरों से मेरे लंड को चूसने लगी.

मुझे रोकना मुश्किल लग रहा था, मेने अपने लंड को उसके मुँह में और दबा दिया. वो चूसने के साथ एक हाथ से मेरे लंड को जोरो से रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से मेरी दोनो गोलियों को सहला रही थी. मेरी नसों में तनाव बढ़ता जा रहा था. मेरा शरीर मारे उत्तेजना के कांप रहा था. मेने उसके सिर को पकड़ा और अपने लंड पर दबाते हुए अपने वीर्या की पिचकारी छोड़ने लगा. एक बाद एक पिचकारी उसके गले तक जा रही थी. वो मेरे लंड को चूस्ते हुए और हाथों से रगड़ते हुए मेरा पानी निगल रही थी. जिंदगी मे पहली बार मेरे लंड ने इतना पानी छोड़ा था. जब एक एक बूँद मेरे लंड से छूट गयी तो नताशा ने मेरे मुरझाए लंड को अपने मुँह से बाहर निकाल दिया. “बहोट पानी छोड़ा तुम्हारे लंड ने.” अपने होठों पर जीब फिराते हुए वो खड़ी हो गयी.

“बड़ी मूसखिल से निगल पाई मे.” “इतने समय से तुम मुझे चिढ़ा रही थी, फिर तुम्हारे भरे भरे मम्मे और फिर तुम्हारी लंड चूसने की कला ने मुझे बहुत उत्तेजित कर दिया था. और जब में ज़्यादा उत्तेजित होता हूँ तो मेरा लंड इसी तरह पानी छोड़ता है.” मेने कहा. “अपने पानी का स्वाद लेना चाहोगे?”

 कहकर उसने मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए और अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में डाल दी. मेरे वीर्य की महक और स्वाद उसके मुँह में आ रहा था. “स्वाद अच्छा लगा.” उसने अपनी ज़ुबान मेरे मुँह में घूमाते हुए कहा. “हां आज पहली बार ऐसा किसी ने मेरे साथ किया है. अलग से उत्तेजना आ जाती है शरीर में.”

कहते हुए में उसके चुचियों को मुँह मे लेते हुए उसके निपल चूसने लगा. “और ऐसा करने से मेरी चूत और गीली हो जाती है.” उसने मेरे सिर को अपनी चुचियों पर दबाते हुए कहा. में अपनी जीभ से उसकी निपल को चुलबुला रहा था. उसके निपल एक दम तने हुए थे. उसने और जोरो से अपनी चुचि मेरे मुँह में देते हुए कहा, “कैलाशचूसो इन्हे ज़ोर ज़ोर से चूऊऊओसो ओह हाआअँ ऐसे ही.”

में उसकी चुचियों चूस्ते हुए अपना हाथ नीचे खिसकाने लगा. उसके पेट और नाभि से होते हुए मेरा हाथ पहले उसकी झांतो में रैंगा फिर उसकी चूत पर फिरने लगा. मेने महसूस किया कि उसकी चूत पूरी तरह गीली हो चुकी है, “अब थोडा पीछे को लेट जाओ और मुझे तुम्हारी चूत चाटने दो.” मेने उसे थोड़ा पीछे की ओर करते हुए कहा. “में तो समझी थी कि आप इसे भूल ही गये है.” वो सीट पर बैठ गयी और पीछे की ओर होते हुए अपनी टाँगे फैला दी. उसके चूत एक दम गुलाबी और उभरी लग रही थी. में उसकी टाँगो के बीच आ गया और दोनो हाथों की उंगलियों से उसकी चूत के मुँह को फैला दिया. फिर अपनी जीब को थोड़ा त्रिकोण बना उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा. उसकी चूत से उठती महक और खुश्बू मुझे पागल कर रही थी. में जोरो से उसकी चूत को चाट रहा था. में अपनी ज़ुबान उसकी चूत को चाटते हुए उसकी गांड के छेद तक ले जाता और फिर जोरो से रगड़ते हुए उसकी चूत को चाटता. उसने दोनो हाथों से मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत पर दबा दिया और सिसक पड़ी. `ओह राआआआज खााआ जऊऊओ मेरी चूऊओट को हाआअँ चूऊऊऊओसो और्र्र्र्र्ररर जोर्र्र्र्र्र्ररर से ओह आहह” में ज़ोर से उसकी चूत को चूस रहा था. में अपनी ज़ुबान उसकी चूत के अन्द्रुनि हिस्सों में फिरा रहा था. कितनी प्यारी और मुलायम चूत थी उसकी.

मेरा लंड तन कर एक दम खड़ा हो गया था. वो मुझे देखती रही और अपना सिर सीट की दीवाल से टिका कर चूत चुसाइ का मज़ा ले रही थी. उसका एक हाथ मेरे सिर पर बालों को सहला रहा था और अपने दूसरे हाथ से अपनी निपल को भींच रही थी. “हाइ भगवान, कितना अछा लग रहा है, और करो, मुझे इसकी ज़रूरत है. में कितने दिनो इस का इंतेज़ार कर रही हूँ.” मुझे लगा जैसे उसे और भी किसी की ज़रूरत है चूत में, मेने अपनी एक उंगली फिर दूसरी उंगली उसकी चूत मे डाल दी.

अब में अपनी जीब के साथ अपनी उंगलिया भी उसकी चूत के अंदर बाहर कर रहा था. उत्तेजना में वो अपना सिर इधर उधर पटक रही थी साथ ही अपनी कमर थोड़ा उचका देती जिससे मेरी जीब अंदर तक उसकी चूत मे घुस जाती. मेने तेज़ी से उसे जीब और उंगली से चोद रहा था. नताशा से भी अब सहन नही हो रहा था. में और ज़ोर से उसे चाट रहा था. जैसे ही उसकी चूत ने पानी छोड़ा वो चिल्ला पड़ी, “ओह .हाआअँ .ओह माआ .मेरा निकल रहा है, मेरी जान गाइ .कितना अच्छा लग रहा है राआआअज .खा जाओ मेरी चूओत को! उसका शरीर ढीला पड़ गया था. मेने ज़ोर से उसे चूस रहा था, उसका शरीर काँपते हुए पानी छोड़ रहा था. थोड़ी देर में वो शांत पड़ गयी और उठ कर बैठ गयी,

मेने भी अपनी उंगलियाँ उसकी चूत मे से निकाल दी. “डार्लिंग आज तो तुम बहुत ही उत्तेजित हो गयी हो. तुम्हारी चूत ने भी काफ़ी पानी छोड़ा है. देखो मेरा लंड भी तन कर खड़ा हो गया है.” मेने उसकी चूत को सहलाते हुए कहा. “में तो आप के छूने भर से ही उत्तेजित और गीली हो जाती हूँ.” उसने कहा, “और आज तो में पहले ही से उत्तेजित और गीली थी. फिर आपने मेरी चूत की चुसाइ भी इतनी मजेदार तरीके से की, कि जब मेरा पानी निकला तो में जैसे स्वर्ग में पहुँच गयी थी. नताशा झुकी और मेरे चेहरे को अपने करीब खींचते हुए मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए, “तुम्हारी खुश्बू और होठों का स्वाद तो एकदम चूत जैसा लग रहा है.”

“क्या तुम्हे अपनी चूत की महक और स्वाद अच्छा लग रहा है?” मेने उसके होठों को चूस्ते हुए पूछा. “हां अगर वो आपके मुँह से आ रहा हो तो?” नताशा ने मेरे मुँह अपनी जीब डालते हुए कहा. फिर नताशा खड़ी हो गयी और घूम कर खिड़की के हत्थे को पकड़ झुक गयी. उसके नंगे चुतताड कुछ उठ गये थे. उसने अपनी टाँगे फैला दी जिससे उसकी चूत का मुँह साफ दिखाई दे रहा था, “अछा अब ज़्यादा बातें मत करो और मुझे चोदो. और बहुत कस के चोदो. अपने लंबे और मोटे लंड से मेरी चूत की जम कर धुनाई कर दो अब रहा नही जा रहा है.” में उठ कर उसके पीछे आ गया. उसके दोनो चूतड़ को थोड़ा फैला अपना लंड कुछ देर तक उसकी चूत के छेद पर रगड़ता रहा फिर एक ज़ोर का धक्का मार मेने अपना पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया. उसकी चूत गीली ही नही थी बल्कि रस से भरी पड़ी थी. में अपने हाथों से उसके चूतड़ पकड़ धीरे धीरे धक्के लगाने लगा. थोड़ी देर बाद में ज़ोर से धक्के मार रहा था और वो भी अपने चूतड़ पीछे धकेल मेरे धक्कों का साथ दे रही थी, | ”

क्या तुम्हे इस तरह चुद्वाना अछा लगता है?” “ओहह्ह्ह्हह्ह्ह्ह माआआआअ आआअ ..बहोट अछा लग रहा हैïआआ आआआआह्ह्हह्ह्ह्ह कितना अछा हैïकोमओन्न्न्न.तुम्हारे लंड ने मेरी चूत को पूरा भर दिया है जानू आआआओह हाां और जोर्र्र्रररररर.से चोदो” वो सिसक रही थी. उसकी कामुक सिसकियाँ सुनकर में भी जोश में आ गया. उसके चुतडो पर थप्पड़ जमाते हुए कस कर चोदने लगा. “ओह हाआआं मेरे चुतत्त्त्त्तदों को ऐसे ही मरर्ररओऊऊऊओ.आहिस्ता आहिस्ता ज़्यादा जोरों से नहीï” वो भी चुदाई का मज़ा ले रही थी. में ज़ोर से उसे चोद रहा था और वो भी कूल्हे पीछे धकेल पूरा साथ दे रही थी. में जानता था कि वो जल्द ही दूसरी बार झड़ने वाली है में भी उसके पीछे पीछे ही था. नताशा ने अपना एक हाथ अपनी टॅंगो के बीच से होते हुए मेरे दो अंडे पकड़ लिए और सहलाने लगी. में ज़ोर के धक्के मार रहा था कि वो सिसकी, “म्‍म्म्मममम .ओह्ह्ह मा छूट रहा है मेरा हे भगवान.मेरा निकल रहा है.”

नताशा का शरीर हल्के से कांपा और उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया. में भी अपने आपको ज़्यादा देर तक नही रोक पाया और मेरे लंड ने वीर्य की धारा छोड़ दी उसकी चूत मे. में और ज़ोर से धक्के मार अपना लंड उसकी चूत के अंदर तक घुसा देता और हर धक्के से एक पिचकारी मेरे लंड से छूट जाती. जब मेरे लंड की एक एक बूँद उसकी चूत मे गिर गयी तो मेने अपने लंड को उसकी चूत के बाहर निकाल लिया. “कैलाशकितना अच्छा था.” उसने मुझे चूमते हुए कहा. हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे लिए लेटे हुए थे. तभी कॅबिन के दरवाज़े पर एक वेटर ने दस्तक दी और कहा वो खाना देना चाहता है. हमे वेजिटेरियन चाहिए या नोन-वर्जेटरीयन. हमने नोन- वेजिटेरियन का ऑर्डर दिया और अपने अपने कपड़े पहनने लगे. थोड़ी देर बाद वेटर ने खाना लगा दिया और हम खाने लगे. खाना खाने के बाद में नीचे वाली सीट पर लेट गया और नताशा भी मेरी बगल में अपना सिर मेरी छाती पर रख लेट गई. उसने अपनी दो उंगलियाँ मेरी तोड़ी पर रखी हुई थी प्यार भरी नज़रों से मेरी आँखों में घूर रही थी, “कैलाश मै तुमसे प्यार करती हूँ.” “में तुमसे बहुत प्यार करता हूँ नताशा.” कहकर मेने उसे अपनी बाहों में भर लिया.

दोस्तों ये मेरी कहानी आप लोगो को कैसी लगी जरुर बताईयेगा!

2 thoughts on “इस तरह चुदवाना अच्छा लगता – 3

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