दो सहेलियों का वादा

दोस्तों ये कहानी मेरी वाइफ और उसकी सहेली की है जो उसी की जुबानी अपलोगो से शेयर कर रहा हु आशा करता हु आप लोगो को जरुर पसंद आएगी … कल्पना और तनिषा पक्की सहेलियाँ थी. दोनो एक दूसरे की हर बात की राज़दार तो थी जो काम करती थी इकट्ठे करती थी. कॅंटीन में मिलेंगी तो दोनो लाइब्ररी में होंगी तो दोनो. अकेली कोई भी आप को नहीं मिलेगी. कल्पना की सगाई हो गयी तो तनिषा को गुस्सा आ गया कहने लगी ‘ जब आज तक हम ने कोई काम अलग नही किया तो तूने सगाई अकेले कैसे करवा ली.’ कल्पना ने कहा ‘ मेरी प्यारी सखी बता इसमे मैं क्या कर सकती थी मैने खुद तो सगाई की नहीं घर वालों ने कर दी वो भी मेरे मना करने के बावज़ूद.’ ‘ क्या तेरे लड़का नहीं देखा बिना देखे ही सगाई हो गयी’. ‘ लड़का मैने नहीं देखा हाँ लड़का मुझे देखने ज़रूर आया था और मैं उस्दिन ना नहाई थी ना ही कोई अच्छे कपड़े पहने थे ताकि वो ना कर जाए लेकिन उसने हाँ कर दी और मुझे आज ही पता लगा है. अब बता मैं क्या करती.’ ‘ जब वो तुझे देखने आ रहे थे तो तू मुझे बता सकती थी.’ ‘ मुझे भी नहीं पता था के वो मुझे देखने आ रहे हैं’. ‘ ठीक है तूने अपना वादा तोडा है. हम ने आपस से एक दूसरी से वादा कर रखा था के हम एक ही दिन शादी करेंगी और एक ही रात सुहागरात मनायें गी, अब तू अकेली शादी करेगी और अकेले ही सुहागरात मनाएगी.’ ‘ अब इसमें मैं क्या कर सकती हूँ, तू ही कोई रास्ता निकाल मैने तुझे बताया है के यह सब मेरी मरज़ी के बिना हुया है और मेरी जानकारी के बिना’. ‘ चलो अब शादी तो तेरी हो जाए गी लेकिन सुहागरात तो हम इकट्ठी मना सकती है.’ ‘ वो कैसे’. ‘ देख सुहागरात यानी हनिमून मनाने तो कहीं बाहर जाएगी और किसी होटेल में मनाएगी.’ ‘ वो भी मैं नहीं कह सकती, लड़के वालों की मरज़ी है.’ ‘ क्या अब तू लड़के से शादी के पहले नहीं मिलेगी.’ ‘ क्यो नहीं लेकिन वो भी लड़का ही पहल करे तो अच्छा है मैं तो नहीं कह सकती.’ ‘ ठीक है मुझे उसका टेलिफोन नंबर दे मैं प्रोग्राम बनाउन्गि , और मैं ही पूच्छ लूँगी के हनिमून मनाने कहा जा रहे हो.’ ‘ उस से क्या होगा अगर पता लग भी जाए के कहाँ जा रहे हैं.’ ‘ यह मेरे पर छोड़ दे तू देखती रह मैं क्या करती हूँ, लेकिन तुझे अपना वायदा याद है के हम दोनो सुहागरात इकट्ठे मनाएँ गी.’ ‘ अरे बाबा याद है और जैसे तू करना चाहे कर लेना मुझे कोई एतराज़ नहीं.’ कल्पना की शादी हो गयी और जब वो हनिमून मनाने के लिए मनाली गये तो तनिषा भी मनाली पहुँच गयी और जिस होटेल में उन्होने कमरा बुक करवाया था उसी होटेल में उसके साथ वाला कमरा उसने बुक करवा लिया. दोनो कमरों के बीच में टाय्लेट था. कल्पना से तनिषा ने कह दिया के अब अपने वायदे के मुताबिक तू रात को एक बार लंड लेने के बाद उठ कर टाय्लेट आए गी और मैं तेरी जगह तेरे बिस्तेर पर चली जाउन्गि और तू मेरे कमरे में. तनिषा ने एक बैरे से मिल कर टाय्लेट के दरवाज़े में एक सुराख करवा दिया था जिसमें से कमरे का पूरा नज़ारा दिखाई देता था. जब कल्पना सुहागरात मना रही थी तो सारा नज़ारा तनिषा टाय्लेट के दरवाज़े से देखने लगी. सुनीते के होंठो को और मम्मों को चूसने से लेकर उसकी चूत में लंड जाते हुए सभी कुच्छ तनिषा ऐसे देख रही थी जैसे ब्लू फिल्म देख रही हो और साथ साथ अपनी चूत पर हाथ भी फेर रही थी क्यो के कल्पना की चुदाई हो रही हो और तनिषा की चूत में खुजली ना हो ऐसा तो हो ही नहीं सकता था. वो तो ना जाने कैसे यह बर्दास्त कर रही थी कि कल्पना अकेले ही चुदाई करवा रही है नही तो उसकी मरज़ी तो यह थी के दोनो इकट्ठे ही चुदाई करवाएँ गी चाहे एक ही से चाहे दोनो अपने अपने पति से लेकिन एक ही कमरे में एक ही समय. लेकिन ना तो ऐसा होना मुमकिन था ना हुया लेकिन फिर भी तनिषा देख देख कर मज़े ले रही थी. कल्पना को चोदने के बाद जब उस का पति सो गया तो कल्पना टाय्लेट में आ गयी और तनिषा उस की जगह पलंग पर जा कर लेट गयी. पलंग पर लेटने से पहले उस ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे क्योंकि जब कल्पना पलंग से उठ कर आई तो वो नंगी थी | आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | उसके पति ने उसे बिल्कुल नंगी कर के चोदा था. तनिषा ने अपना मुँह कल्पना के पति अनिश की ओर कर लिया और अपने हाथ उस की छाती पर फेरने लगी. अनिश को पहली चुदाई के बाद जब खुमारी टूटी तो उसने देखा के कल्पना उसकी छाती पर हाथ फेर रही है, इसका मतलब है वो अभी और चाहती है. अनिश अपना हाथ उस के मम्मों पर रख कर उन्हे दबाने लगा. तनिषा पहले से ही गरम हो रही थी कल्पना की चुदाई देख कर इसलिए वो बर्दाश्त ना कर सकी और अनिश से लिपट गयी. अनिश ने अपने होंठ उसके होंठो पर रख दिए और उन्हे चूसने लगा. तनिषा भी बड़े जोश से उसके होंठ चूसने लगी. फिर अनिश ने उस के मम्मों को चूसना शुरू किया तो तनिषा के लिए रुकना मुश्किल हो गया लेकिन वो कर भी क्या सकती थी आज तो जो करना था अनिश को ही करना था. वो तो बोल भी नहीं सकती थी के कहीं भेद ना खुल जाए. जलदी ही अनिश उस के उपर आ गया और अपना लंड उस की चूत पर रगड़ने लगा. तनिषा की चूत उछलने लगी तो अनिश ने अपना लंड उस की चूत में डाल दिया. तनिषा दरद से तड़फ़ उठी लेकिन अपने को रोके रखा के कहीं अनिश को पता ना चल जाए के यह कल्पना नहीं तनिषा है. धीरे धीरे दरद कम होने लगा और मज़ा आने लगा. अब वो भी उच्छल उच्छल कर लंड लेने लगी. उपर से अनिश धक्के मार रहा था नीचे से तनिषा उच्छल कर लंड को पूरा अपने अंदर लेने की कोशिश कर रही थी. आधे घंटे की मज़ेदार चुदाई के बाद अनिश बगल में लेट गया और थोड़ी देर बाद जब तनिषा को लगा के वो सो गया है वो उठ कर टाय्लेट के रास्ते अपने कमरे में आ गयी जहाँ कल्पना उसका इंतज़ार कर रही थी. ‘ ले आई मज़े सुहागरात के अब तो नाराज़ नहीं मैने अपना वादा निभाया है अब तुझे अपना वादा निभाना है. अच्छा यह तो बता कैसा लगा अपने जीजा का लंड और उस की चुदाई.’ ‘ यह भी कोई लंड है छ्होटा सा और चुदाई तो उसे करनी आती ही नहीं.’ ‘ तू तो ऐसे कह रही है जैसे तूने बड़े लंड लिए हैं और चुदाई के मज़े लिए है.’ ‘ अरे मैं तो मज़ाक कर रही थी, बहुत मज़ेदार चुदाई करता है तेरा अनिश और लंड तो इतना मोटा और लंबा है के मेरी तो दरद के मारे चीख निकलने वाली थी. बड़ी मुश्किल से अपने आप को रोका है. अब तू जलदी से जा कही तेरा वो जाग ना जाए और अभी तेरा दिल तो भरा नहीं होगा एक बार तो और लेगी.’ ‘ अब तू ले आई है और उसे क्या भैसा समझा है के जितनी भैंस आगे करते रहो वो बेचारा उपर चढ़ता रहेगा, चाहे उसका लंड आदमी को पकड़ कर भैंस की चूत में डालना पड़ता है.’ ‘ अरी बड़ा दरद आ रहा है एक बार ही तो मैने लिया है और वो भी कोई ज़बरदस्ती नहीं की मैं तो जा कर साथ में लेट गयी थी उसने ही मेरे होटो का रस पिया मेरे मम्मों को चूसा और मेरी चूत में अपना मोटा गधे जैसा लंड डाला.’ ‘ वो तुझे बुलाने आया था खुद ही तो गयी थी यह सब करवाने के लिए

अच्छा अब जा बाकी बातें सुबह रात का काम कर ले पहले.’ तनिषा जा कर बिस्तेर पर लेट गयी और अनिश अभी सोया हुया था. वो उस से लिपट कर लेट गयी लेकिन अभी उसका दिल कर रहा था के एक बार और चुदाई का मज़ा लूँ. सुबह होने से पहले अनिश की नींद खुली तो तनिषा जाग रही थी. अनिश ने कहा ‘ क्या बात है जाग रही हो नींद नहीं आई.’ ‘मुझे घर की याद आ रही थी और आज तक घर से बाहर कहीं सोई नहीं इसलिए अंजान जगह नींद नहीं आ रही.’ अनिश ने मेरे गाल को चूमा और कहने लगा ‘अब तो हमेशा मेरे साथ ही सोना है इसलिए घर की याद तो भूलनी ही पड़ेगी. और तुझे आज मेरे साथ सोते हुए भी घर की याद आ रही है इसका मतलब है तुझे मैं पसंद नहीं.’ मैं अनिश से लिपट गयी और कहा ‘ नहीं ऐसी बात नहीं तुम तो बड़े अच्छे हो लेकिन मा बाप की याद तो आएगी ही .’ अनिश मेरे लिपटने से फिर गरम हो गया उस का लंड तन कर खड़ा हो गया. मैने उसे हाथ में पकड़ लिया और कहा ‘ यह भी आज सो नहीं रहा इसे किस की याद आ रही है’. ‘ इसे तो अपनी चूत की याद ही आए गी और किस को याद करेगा’ ‘ तो इस की कोई और चूत है जिस की याद कर रहा है.’ ‘ नहीं इसकी चूत तो यहाँ ही है यह तेरे हुकुम का इंतज़ार कर रहा है’. ‘ पहली बार तो मेरे से पूछा नहीं अब मेरे हुकुम का इंतज़ार है.’ ‘ तुम ने मुँह से ना इशारे से जब तक हुकुम नहीं किया यह चूत के नज़दीक भी नही गया.’ ‘ तो अब क्या यह मेरे मुँह से सुनना चाहता है.’ ‘ उस समय तो तू बोल नहीं रही थी और शरमा रही थी अब तो बोल रही है’ ‘ में कुच्छ नहीं कहूँ गी यह तो तुम्हारे लंड और चूत की मरज़ी है हाँ मैं रोकूंगी नहीं.’ और फिर अनिश का लंड मेरी चूत में चला गया. मेरी चूत में यह दूसरी बार गया था जब के चूत में यह तीसरी बार गया था.’ ‘ अनिश एक बात बतायो के क्या तुमने इस से पहले किसी और लड़की से प्यार किया है.’ ‘ हाँ जितने लड़को से तूने किया है उतनी लड़कियों से मैने किया है. हिसाब किताब बराबर, कुच्छ और पूछना है आज ही पूच्छ लेना दिल में कुच्छ मत रखना.’ मैं सोचने लगी के अनिश को आज ही बता दूँ के तनिषा ने तेरा लंड ले लिया है और यह मेरी मरज़ी से हुया है क्योंकि हम दोनो ने वादा किया था के हम ज़िंदगी में जो भी खाएँगी या लेंगी इकट्ठे करेंगी. लेकिन मैने सोचा के कहीं यह बुरा ना मान जाए इसलिए चुप कर गयी. अगले दिन जब हम घूमने के लिए बाज़ार गये तो तनिषा हमे बाज़ार में मिल गयी. अनिश ने उसे देख कर बुलाया और कहने लगा ‘ तनिषा तू यहाँ कैसे’. आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ‘ क्यो क्या मैं मनाली नहीं आ सकती’ ‘ नहीं ऐसी बात नहीं है लेकिन तू भी क्या हनिमून मनाने आई है’. ‘ हाँ मैं भी हनिमून मनाने आई हूँ, तुम्हे कोई एतराज़ है.’ ‘ नहीं हमे कोई एतराज़ नहीं, लेकिन तू ठहरी कहाँ है.’ उसने कहा अपसरा होटेल में. ‘ हम भी वहीं ठहरे है, रूम नंबर 231 में.’ ‘ मैं रूम नो 232 में हूँ.’ ‘ यह तो और भी अच्छा है एक ही होटेल में और वो भी साथ वाले कमरे में.’ हम तीनो ने एक रेस्टोरेंट पर चाय पी और होटेल में वापस आ गये. तनिषा भी हमारे साथ हमारे कमरे में आ गयी और गॅप शॅप चलाने लगी. अनिश ने कहा ‘ अरे तू कह रही थी के तू भी हनिमून मनाने आई है तेरा दूल्हा कहाँ है.’ ‘ मैने यह कहा था के मैं भी हनिमून मनाने आई हूँ लेकिन यह नहीं कहा के अपना हनिमून.’ ‘ किसी और का हनिमून तू कैसे मनाए गी.’ ‘ जैसे बेगानी शादी में अब्दुल्लाह दीवाना बन कर नाचते हैं खुशिया मनाते हैं’. ‘ तो यह किस की शादी में अब्दुल्लाह बनाने आई है’ अनिश तुम तो अकल से बिल्कुल पैदल हो. मेरी सहेली यहाँ हनिमून मनाने आई है और हनिमून अपने दुलहा राजा के साथ ही मनाया जाता है, और वो दूल्हा राजा तुम हो. मैं उस के हनिमून की खुशी में मनाली आई हूँ, समझे.’ ‘ तो फिर तुझे अलग कमरा लेने की क्या ज़रूरत थी हमारे कमरे में ही रुक जाती और हमे हनिमून मनाते हुए देख कर खुश होती, दूसरे कमरे में से तो तुझे कुच्छ दिखाई नहीं दे रहा होगा.’ ‘ अब अगर तुम ने देखने की बात की है तो बता दूं मैने तुम्हारा एक एक सीन देखा है और वो भी इन आँखो से. तुम पूच्छो गे कैसे तो तनिषा कच्ची खिलाड़ी नहीं टाय्लेट के दरवाज़े में एक सुराख पहले ही कर दिया गया था और उसी में से मैने सब कुच्छ देखा है.’ ‘ ओह ओह इस काम के लिए दरवाज़े में सुराख करवाया और उस पर खरच किया. होटेल में अलग से कमरा लिया उस का किराया दिया. मुझे कह देती में तुझे अपने कमरे में अपने ही बेड पर लिटा लेता और तुझे डोर से देखने के लिए इतनी मेहनत ना करनी पड़ती ना खरच.’ ‘ मेहनत से किया काम और उस पर किया खरच जो लुफ्त देता है वो माल मुफ़त में नहीं मिलता.’ ‘ हमे सुहागरात मनाते देख तेरा दिल तो किया होगा के मुझे भी वो सब मिले जो कल्पना को मिल रहा है.’ ‘ ज़रूर किया था और हम ने कभी कोई काम अकेले किया भी नहीं, लेकिन हमारे में जलन नहीं है हम इक दिल दो शरीर है, इक जान हैं हम.’ ‘ अरे मेरी जान को तुम अभी भी अपनी जान कहोगी तो ठीक नहीं होगा.’ ‘ चलो जो हो गया अब तुम अपना कमरा खाली कर के इस कमरे में आ जाओ आज हमे नज़दीक से देखना और मैं भी देखु गा के तुम्हे जलन होती है या दिल में कुच्छ कुच्छ.’ तनिषा ने कमरा तो चाहे खाली नहीं किया लेकिन अनिश की बात मान कर उनके कमरे में उन के साथ ही सो गयी. वो एक साइड में और कल्पना बीच में लेट गयी कल्पना के साथ एक और अनिश लेट गया. अनिश ने कहा ‘ तनिषा अगर इज़ाज़त हो तो हम अपना काम शुरू करें.’ ‘ मुझे क्या एतराज़ है मुझे तो तुम ने अपने साथ लिटाया ही इसलिए है के मैं नज़दीक से देख सकूँ के तुम क्या और कैसे करते हो.’ अनिश ने कल्पना के होटो को चूमना और चूसना शुरू कर दिया और फिर उस का गाउन उतार कर नंगा कर दिया. होंठ चूसते हुए उसने मम्मों को हाथ से मरोड़ना शुरू किया तो मैं ना जाने अपने आप को कैसे रोक पा रही थी मैने एक अंगड़ाई ली तो अनिश ने कहा ‘ क्यो तनिषा कुच्छ दिल कर रहा है.’ तनिषा ने कहा ‘ तुम अपना काम करते रहो मैं देख रही हूँ’ अनिश कल्पना के उपर आ गया और उसने अपना लंड मुझे दिखाते हुए कहा ‘ तनिषा देख ले यह लंड अब तेरे सहेली की चूत में जाने वाला है और अंदर से तो दिखाई देगा नहीं.’ तनिषा ने कहा ‘ तुम कल्पना की चूत में डालो गे तो मुझे अंदर भी दिखाई देगा क्यो के मैने पहले ही कहा है कि एक जान हैं हम.’ ‘ इसका मतलब है के अगर मेरा लंड तेरी चूत में जाएगा तो मज़ा कल्पना को आए गा.’ ‘ मुझ से क्या कल्पना से ही पूच्छ लो.’ ‘ क्यो कल्पना ठीक कह रही है तनिषा.’ ‘ डाल कर देखो उसकी चूत में. मैं तो पहले ही समझ गयी थी के तुम्हारा दिल आज उसपर आ गया है जो उसे अपने कमरे में अपने साथ सोने के लिए कह रहे हो.’ ‘ अनिश ने लंड कल्पना की चूत में डालते हुए कहा पहले तेरे उपर चढ़ा हूँ तेरी चुदाई करने के बाद तनिषा की करूँगा.’ अनिश ने कल्पना की चुदाई करते हुए तनिषा के मम्मों को पकड़ लिया और कहने लगा ‘ अरे मम्मे भी एक जैसे हैं इसका मतलब चूत भी एक जैसी ही होगी.’ ‘ चूत और मम्मे और लंड तो सभी लगभग एक जैसे होते हैं थोड़ा बहुत फरक़ होता होगा.’ कल्पना ने कहा. ‘ तुझे कैसे पता क्या तूने किसी और का लंड लिया है या देखा है.’ ‘ लंड नहीं लिया तो क्या जब आदमी के बाकी अंग एक जैसे होते है तो लंड भी तो शरीर का एक अंग है. गधे का लंड तो सब ने देखा होगा वो सब गधो का एक जैसा होता है तो आदमियो का भी एक जैसा होता होगा. तुमने क्या चुदाई करनी किसी से सीखी थी जो करनी आ गयी है.’ तनिषा बोली ‘ तुम तो ऐसे लड़ने लगे जैसे छ्होटे बच्चे लड़ते हैं वो भी भाई बेहन.’ ‘ अच्छा हमे भाई बेहन बना दिया और तू भी तो मेरी बेहन लगी तुझे अपने भाई से चुदाई करवाते हुए शरम नहीं आए गी.’ ‘ जब मैं कर्वाउन्गि तब ना.’आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |

तो क्या तू अपनी सहेली को चुदते हुए देखने के लिए इस कमरे में वो भी इस पलंग पर लेटी है.’ ‘ तुमने ही तो कहा था के नज़दीक से देख दूर से साफ नज़र नहीं आ रहा होगा.’ ‘ मैने तो इस लिए कहा था के कल तू मेरे बिस्तर पर खुद ही आ कर मेरे से अपनी चूत में मेरा लंड ले चुकी थी तो मैने सोचा के जब तू और तेरी सहेली को कोई एतराज़ नहीं तो फिर मुझे क्या एतराज़ है, इसलिए मैने तुझे अपने साथ पलंग पर आने के लिए कहा था अब तेरी सहेली की चुदाई हो चुकी है तूने भी करवानी है तो अपने कपड़े जलदी से उतार दे मेरा लंड तैयार खड़ा है ऐसा ना हो के तू देर कर दे और यह फिर तेरी सहेली की चूत में चला जाए.’ मैने देखा लंड तन कर खड़ा हो गया था मैने उसे हाथ में लिया और फिर अपने मुँह में डाल कर चूसने लगी. अनिश तनिषा के मम्मों को चूसने लगा. तनिषा काफ़ी देर से कल्पना की चुदाई देख कर गरम हो चुकी थी उसने कहा अब मम्मों को ही चूसते रहोगे के चूत को भी अपना लंड दोगे.’ अनिश ने तनिषा की चूत में लंड डाल दिया और झटके मारने लगा. नीचे से तनिषा भी उच्छल उच्छल कर पूरे लंड को अपनी चूत में लेने की कोशिश कर रही थी. कल्पना देख रही थी और कहने लगी ‘ अनिश तुम्हे कैसे पता लगा के रात में तनिषा तुमहरे पास आई थी और उस ने चुदाई करवाई थी.’ ‘ तुमने क्या समझा था के मेरे लंड को अपनी चूत जिस का यह एक बार स्वाद चख चुका था को दूसरी चूत का पता नहीं लगेगा.’ ‘ चलो अच्छा हुया तुम्हे बताने की ज़रूरत नहीं पड़ी लेकिन अब यह सोच लो के अगर तुमने तनिषा को अपना लंड दिया है तो मैं तनिषा के पति का लंड लूँगी. हम दोनो ने आज तक कोई काम भी इकट्ठे किया है इसलिए हमारी दोनो सहेलिओं का वायदा था के हम लंड भी इकट्ठे लेंगी और तूने आज हमारी बात रख ली है तो वायदा कर के तुझे कोई एतराज़ नहीं होगा.’ ‘ जब मैने तनिषा की चूत ली है | आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है |  तो इसका पति तेरी चूत लेगा तो मुझे क्या एतराज़ होगा. बलके मैं भी तनिषा की चूत में लंड डालूं गा और तेरी चूत में तनिषा का पति लंड डाले गा वो भी मेरे सामने. लेकिन मेरे ख़याल में तो जब मैं तनिषा को भी वो सब दे रहा हूँ जो इसे अपने पति से मिलने वाला है तो इसे शादी करवाने की क्या ज़रूरत है. मैं दोनो की ज़रूरत पूरी कर सकता हूँ जैसे कल और आज की है’ ‘ शादी करवाने से दो फ़ायदे होंगे एक तो अगर मैं प्रेगञेन्ट होती हूँ तो किसी को कोई एतराज़ नहीं होगा और दूसरे तुम अकेले कब तक हम दोनो की चुदाई करते रहोगे. वैसे तुम्हारी बातों से लगता है के तुम्हे जलन होने लगी’ ‘ मुझे क्यो जलन होगी जब तुम दोनो को जलन नहीं हो रही, लेकिन क्या यह ज़रूरी है के इसका पति भी इस बात के लिए राज़ी हो जाएगा.’ ‘ वो हम पर छोड़ दो जब तुम्हे राज़ी कर लिया है तो उसे भी इसी तरह कर लेंगे.’ कुच्छ महीनो बाद तनिषा की शादी हो गयी. तनिषा के साथ कल्पना ने भी उसके हनिमून पर जाने का प्रोग्राम बना लिया. प्रोग्राम भी मनाली का ही बनाया गया और ठहरने के लिए होटेल और कमरे भी वो ही चुने जिस में पहले कल्पना और तनिषा का हनिमून इकट्ठे ही हुया था. रात को कल्पना और तनिषा ने अपने कमरे बदले और एक दूसरे के पति के साथ हनिमून मनाया. तनिषा के पति को शक भी नही हुया. अगले दिन कल्पना ने तनिषा से पूचछा ‘कौन सा लंड ज़्यादा अच्छा लगा तो तनिषा ने कहा ‘तूने भी तो दोनो का स्वाद लिया है तू बता.’ कल्पना कहने लगी मुझे तो दोनो एक जैसे लगे कोई ज़्यादा फरक़ नहीं लगा और चोदने में भी दोनो एक जैसे ही है’ ‘ मुझे भी दोनो एक जैसे लगे’ तनिषा ने कहा. अनिश ने संजीव (तनिषा का पति) से चाय पीते हुए कहा ‘ संजीव तुमने इस से पहले कभी चुदाई का मज़ा लिया है. सच सच बताना, च्छुपाना कुच्छ भी नही.’ संजीव ने कहा ‘ एक बार पड़ोस में एक औरत रहती थी उससे. मैं तो तब छ्होटा था उसी ने मुझे यह सिखाया था.’ ‘ तो उसके बाद क्या उसने तुझ से चुदाई करवानी छोड़ दी या तूने ही छोड़ दिया.’ नहीं कयी बार की अब तुम बतायो के तुमने कभी किसी और औरत का मज़ा लिया’ ‘ हाँ लिया तो है लेकिन शादी के बाद वो भी दो सहेलिया थी और उन्होने अपनी मरज़ी से मेरे से चुदाई करवाई थी.’आप यह कहानी मस्तराम डॉट नेट पर पढ़ रहे है | ‘ तो क्या अब भी वो तुम से चुदाई करवाती है’ ‘ हां करवाती है और वो भी एक साथ क्या तुम चाहते हो के तनिषा की कोई सहेली तुम से चुदाई करवाए और वो भी तनिषा के सामने.’ ‘ यह कैसे हो सकता है, कोई भी पत्नी अपने पति से किसी औरत को चुदते हुए नहीं देख सकती और ना कोई पति अपनी पत्नी को किसी और से चुदते हुए देख सकता है. क्या तुम अपनी पत्नी को किसी और से अपने सामने चुदते हुए देख सकते हो.’ ‘ क्यो नहीं जब मैं अपनी पत्नी के सामने उसके सहेली को चोद सकता हू तो वो क्यो नहीं मेरे सामने किसी और से चुदवा सकती. अब अगर तुम ने किसी औरत को शादी से पहले चोदा है तो तुम्हे भी तनिषा को किसी और से चुदाई करवाने में कोई एतराज़ नहीं होना चाहिए. तुझे पता है आज कल कयी क्लब ऐसे बने है जहाँ पति पत्नी बदल कर चुदाई करते है.’ ‘ सुना तो मैने भी है ऐसे क्लब के बारे में लेकिन गया कभी नहीं, क्या तुम कभी गये हो.’ ‘ नहीं मुझे क्लब में जाने की क्या ज़रूरत है क्यो ना आज रात हम यह काम इस होटेल को क्लब समझ कर करें.’ ‘ तनिषा और कल्पना मान जाएँगी’ ‘ पहले तू बता के तू राज़ी है.’ ‘ ठीक है तुम राज़ी कल्पना और तनिषा राज़ी तो फिर मुझे का एतराज़ है.’ रात में अनिश ने कल्पना को संजीव के कमरे में भेज दिया और तनिषा उसके कमरे में आ गयी. रात को बदल बदल कर 4 बार चुदाई का दौर चला. दो बार कल्पना ने अनिश का लंड लिया और दो बार संजीव का और ऐसे ही दो बार तनिषा ने अनिश का और दो बार संजीव का लंड लिया. सुबह चाय पर चारों इकट्ठे हुए तो अनिश ने पूछा ‘ रात का प्रोग्राम सब को कैसा लगा.’ सब ने इकट्ठे ही कहा बहुत अच्छा लेकिन अगर यह एक ही कमरे में होता तो ज़यादा अच्छा होता. अनिश ने कहा ‘ ठीक है आज हम चारों एक ही कमरे में एक दूसरी की बीवी को चोदे गे और अपनी को चुदते देखें गे’ तनिषा ने कहा ‘ और इस मुकाबले में जो जीता उस मैं एक गरम गरम चुम्मा दूँगी.’ कल्पना ने कहा ‘ दूसरे नंबर वाले को मैं अपनी चूत का रस पिलाउ गी.’ रात में बीवी बदलो प्रोग्राम चला और होटेल से वापस आने के बाद भी चलता रहता है. इस तरह दो सहेलिओं ने अपने वायदे को निभाया और उनके पति ने उनका साथ दिया.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *